ब्लॉक कर्मियों के आवास को 80 लाख की दरकार
अंबेडकरनगर : करीब 80 लाख रुपये का प्रस्ताव वर्षो से शासन में लंबित है। शासन की स्वीकृति न होना ब्लॉक कर्मियों के आवास निर्माण में बाधक बना हुआ है। आवास जर्जर घोषित होने से कर्मियों को किराए पर आवास मुख्यालय से दूर बनाना पड़ा। ऐसे में विकास कार्य व अन्य सरकारी कार्य भी प्रभावित है।
ब्लॉक मुख्यालय की स्थापना 1956 में हुई। कार्यालय के साथ कर्मचारियों के आवासों का भी निर्माण किया गया था। एक दशक पूर्व भवन जर्जर होने पर कर्मचारियों ने आवास से समान निकाल लिया और वे गोशाईगंज, फैजाबाद, सुल्तानपुर व जनपद मुख्यालय पर आवास बना लिया। एक मात्र खंड विकास अधिकारी का आवास ही सुरक्षित है। बीडीओ के साथ एक ही परिसर में जब कर्मचारी निवास करते थे तो दिन-रात व छुट्टी में साथ बैठकर कार्य आसानी से निपटाए जाते थे। ऐसे में विकास व सरकारी कार्य समय से पूरे कर लिये जाते थे। कर्मचारियों के दूर आवास बनाने से कार्य प्रभावित है। आवास निर्माण की दिशा में कई बीडीओ द्वारा उच्चाधिकारियों को पूर्व में पत्राचार किया गया, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। तीन वर्ष पूर्व नवनिर्वाचित ब्लॉक प्रमुख अनिल सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्चाधिकारियों को लिखापढ़ी तेज की। तत्कालन सीडीओ व डीडीओ की पहल पर प्रमुख ने अवर अभियंता से कागजी औपचारिकता पूर्ण कराकर करीब 80 लाख रुपये की अनुमानित लागत का प्रस्ताव भेजा। उच्चाधिकारियों ने तत्समय ही प्रस्ताव शासन को भेज दिया। तभी से प्रस्ताव शासन में लंबित है। इससे आवासों का निर्माण नहीं हो पा रहा है और कर्मचारियों को आवास के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। इससे उनका व परिवार का बजट गड़बड़ हो रहा है। खंड विकास अधिकारी रोहिणी प्रसाद पाल ने बताया कि ब्लॉक प्रमुख व उच्चाधिकारियों द्वारा प्रस्ताव स्वीकृति करने के लिए शासन में प्रयास जारी है।