सात साल बाद भी नहीं मिल सका ठिकाना
अंबेडकरनगर : तीन करोड़ की लागत से बन रहे अधिकारियों के आवास सात वर्ष बाद भी अधूरे हैं।ऐसे में अधिकारी
अंबेडकरनगर : तीन करोड़ की लागत से बन रहे अधिकारियों के आवास सात वर्ष बाद भी अधूरे हैं।ऐसे में अधिकारी व कर्मचारी जिला मुख्यालय पर ठौर बनाए हैं। यह आलम तब है जब शासन द्वारा कार्यदाई संस्था के पक्ष में धन भी निर्गत कर दिया गया है। नतीजतन तहसील से जिला मुख्यालय तक की भाग दौड़ में अधिकारी, कर्मचारी सरकारी काम काज भी सही ढंग से नहीं निपटा पा रहे हैं।
मामला भीटी तहसील का है। उक्त तहसील का सृजन वर्ष 2007 में तत्कालीन बसपा शासन काल में हुआ है। तहसील मुख्यालय पर अधिकारियों, कर्मचारियों के निवास करने, समय से सरकारी काम काज निपटाने के उद्देश्य से शासन ने बर्ष 2010 में तीन करोड़ आवास के लिए स्वीकृत किया। पैक्सफेड को निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी। डेढ़ करोड़ रुपये की पहली ़िकस्त भी उक्त कार्यदाई संस्था के पक्ष में निर्गत कर दी गयी। साथ ही तीन वर्ष की अवधि में निर्माण कार्य पूरा करने की शर्त भी रखी गयी थी। करीब दो वर्ष तक निर्माण कार्य चला, इसके बाद दूसरी किस्त न जारी होने के कारण बंद हो गया। बीच में धन शीघ्र भेजने के आश्वासन पर कार्यदाई संस्था ने निजी जोखिम पर निर्माण कार्य कराया। इसके बावजूद धन नहीं प्राप्त हो सका तो कार्य दोबारा रोक दिया गया। गत वर्ष धनराशि उक्त कार्यदाई संस्था को प्राप्त होने पर निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस दौरान चहारदीवारी को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने खलल डाल दी। छह माह बाद प्रशासन ने विवाद हल करते हुए निर्माण शुरू कराया। उक्त संस्था की मानें तो सिर्फ एसडीएम का ही आवास अभी तक पूरा हो सका है। इसके आलावा तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, ऑफिस स्टॉफ, लेखपाल, सुरक्षा कर्मियों का आवास, चारदीवारी, फर्श, प्लास्टर, मुख्य गेट, सड़क, पार्क, सजावट, पेयजल व्यवस्था, परिसर का समतलीकरण आदि तमाम कार्य अभी अधूरे हैं। परिसर चारों तरफ से खुला होने के कारण जंगली जानवर चौबीस घंटे परिसर में घूमते रहते हैं। गत तहसील दिवस के बाद जिलाधिकारी ने पहुंचकर आवासों के निर्माण की स्थिति का जायजा लेते हुए नाराजगी जाहिर की थी।तथा उक्त कार्यदाई संस्था को कड़ी हिदायत दी थी।
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पुलिसकर्मियों का कब्जा-भीटी : कर्मचारियों के कुछ आवास तो बने हैं, लेकिन उन पर भीटी थाने के कई पुलिस कर्मियों का कब्जा है। इस पर कार्यदाई संस्था मौन है। सुरक्षा की ²ष्टि से अभी यहां रहना उचित नहीं है, इसलिए तहसीलकर्मी यहां निवास करने को तैयार नहीं हैं। पुलिस कर्मियो के निवास करने से भवन की देखरेख व साफ सफाई का फायदा है।
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भवन निर्माण का 80 व चहारदीवारी का निर्माण कार्य 70 प्रतिशत पूरा है। मैटेरियल्स के दाम बढ़ने व इसकी अनुपलब्धता के चलते निर्माण कार्य प्रभावित है। मैटेरियल्स की व्यवस्था की जा रही है। धन की कमी नहीं है। आगामी जून माह तक निर्माण पूरा कर भवन हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
संजय कुमार ¨सह
सहायक अभियंता
पैक्सफेड