पांच सगे भाइयों समेत छह को उम्रकैद
अंबेडकरनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंकर लाल ने हत्या के आरोपी पांच सगे भाइयों सहित छह को आ
अंबेडकरनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शंकर लाल ने हत्या के आरोपी पांच सगे भाइयों
सहित छह को आजीवन कारावास व 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड व प्रत्येक आरोपी से 10-10 हजार रुपए के प्रतिकर की सजा सुनाई। प्रतिकर पीड़िता को मिलेगा। आलापुर थाना क्षेत्र के भगवानपुर मंझरिया निवासी रामआसरे पुत्र रामचरन गत नौ ़फरवरी 2010 को जब किसी काम से थकिया गांव जा रहे थे। इसी समय
गांव के ही नंदलाल, दीपचंद, संतलाल, लालचंद, शंकरलाल, शंकर व मयाराम पुरानी रंजिश वश लाठी डंडा व कुल्हाड़ी से मारकर घायल कर दिया। जिनकी अस्पताल ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई। पीड़िता पत्नी के तहरीर पर पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कर विवेचना के उपरांत आरोप पत्र न्यायालय में परीक्षण के लिए प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने गवाहों को न्यायालय पर प्रस्तुत कर आरोपियो को दोषमुक्त किए जाने के पक्ष में जिरह व तर्क प्रस्तुत किया। लोक अभियोजक भागीरथी ने आधा दर्जन गवाहों को न्यायालय पर पेशकर आरोपी को सजा दिए जाने के पक्ष में जिरह व तर्क प्रस्तुत किया। सुनवाई के उपरांत न्यायाधीश ने आरोपियों पर हत्या का आरोप सिद्ध करते हुए की आजीवन कारावास की सजा सुनाई।-------------दुष्कर्मी को नौ साल का कारावास-
संसू, अंबेडकरनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ़फास्ट ट्रैक (प्रथम) वीके जायसवाल ने दुष्कर्म के मामले में नौ वर्ष का कारावास व 40 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न अदा करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। बेवाना थाना क्षेत्र के पक्खनपुर निवासिनी 15 वर्षीय किशोरी को गत आठ मार्च 2010 को गांव के चंद्रजीत उ़र्फ सोनू पुत्र राम खेलावन बहला-फुसलाकर अगवाकर लिया। किशोरी के भाई की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर किशोरी को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। किशोरी के न्यायालय पर बयान के बाद दुष्कर्म की धारा बढ़ा दी गई। विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। परीक्षण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय पर गवाहों को प्रस्तुत कर अपने बचाव में जिरह करते हुए तर्क प्रस्तुत किया। पीड़िता के अधिवक्ता कैलाशनाथ उपाधयाय व एडीजीसी फौजदारी दिलीप ¨सह ने आठ गवाहों को न्यायालय पर पेश कर आरोपियों को कड़ी सजा दिए जाने के पक्ष में जिरह करते हुए तर्क प्रस्तुत किया। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने आरोपी चंद्रजीत पर दोष सिद्ध करते हुए नौ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश दिया।