दुष्कर्मी चाचा को आजीवन कारावास
अंबेडकरनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक प्रथम) वीके जायसवाल ने दुष्कर्म के आरोपी चाचा
अंबेडकरनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक प्रथम) वीके जायसवाल ने दुष्कर्म के आरोपी चाचा को आजीवन कारावास व 75 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनायी। इसी मुकदमें में मारपीट के दो आरोपियों को पांच-पांच वर्ष का कारावास व 25-25 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न अदा करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। भीटी थाना क्षेत्र के बासूपुर बनियानी निवासी 14 वर्षीय किशोरी गत 14 जून 2012 की रात घर के बाहर चारपाई पर सो रही थी। रात्रि के 12 बजे उसके चाचा वंशकुमार जबरदस्ती गन्ने के खेत में खींच ले गएा और दुष्कर्म किए। परिवारजनों को जानकारी होने पर पीड़िता की मां ने थाने में तहरीर दी। पुलिस जांच के लिए घर पहुंची। पुलिस के जाने के बाद दूसरे दिन शाम को आरोपी अपने साथ शिवराम यादव व महरुआ थाना क्षेत्र के अतरौरा निवासी श्यामू निषाद के साथ पीड़िता के घर में घुसकर मारपीट की और धमकी दी की रिपोर्ट लिखाओगे तो जान से मार डालेंगे। पीड़ित महिला की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोपपत्र न्यायालय में सत्र परीक्षण के लिए प्रस्तुत किया। परीक्षण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने गवाहों को पेश कर बचाव में जिरह करते हुए तर्क प्रस्तुत किया। सहायक शासकीय अधिवक्ता दिलीप ¨सह ने आठ गवाहों को न्यायालय पर पेशकर आरोपियों को सजा दिए जाने के पक्ष में जिरह करते हुए तर्क प्रस्तुत किया। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दुष्कर्मी चाचा पर दोष सिद्ध करते हुए आजीवन कारावास व अभियुक्तगण शिवराम व श्यामू पर धारा 452 के तहत पांच-पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।
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-मारपीट के आरोपियों को तीन वर्ष का कारावास-
अंबेडकरनगर : अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुलदीप कुमार ने मारपीट के तीन आरोपियों को तीन-तीन वर्ष का कारावास व 2500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न अदा करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। मालीपुर थाना क्षेत्र के अशानंदनपुर बरौली निवासी हौसिला प्रसाद गत 23 मार्च 2002 को खेत में गन्ना काट रहे थे। इसी समय गांव के अनिल कुमार मिश्र, ओमप्रकाश व अशोक पहुंचे और लाठी-डंडे से मारने लगे, जिससे उनका हाथ टूट गया। पीड़ित के चाचा जगदंबा प्रसाद की तहरीर पर आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोपपत्र न्यायालय में सत्र परीक्षण के लिए प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की तरफ से अपने बचाव में साक्ष्य व तर्क प्रस्तुत किए। अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाहों को प्रस्तुत कर जिरह व तर्क की गयी। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने तीनों आरोपियों पर दोष सिद्ध करते हुए सजा सुनाई।