महज तीन हजार किसानों को मिल रहा लाभ
अंबेडकरनगर : खेती-किसानी की ऑनलाइन व्यवस्था, किसानों पर भारी पड़ रही है। नतीजतन जलालपुर व भियांव ब्लॉ
अंबेडकरनगर : खेती-किसानी की ऑनलाइन व्यवस्था, किसानों पर भारी पड़ रही है। नतीजतन जलालपुर व भियांव ब्लॉक के कुल 210 ग्राम पंचायतों में महज तीन हजार तक ही ऐसे खतौनी धारक कृषक हैं, जिन्हें ऑनलाइन खतौनी इंटरनेट पर डालने पर बीज व कीटनाशक दवाइयां सरकारी अनुदान पर उपलब्ध हो सकती हैं। जागरण की पड़ताल में शुक्रवार को ऐसा ही कुछ जलालपुर मुख्यालय स्थित राजकीय बीज गोदाम के अभिलेखों में मिला। बीज गोदाम प्रभारी आनंद कुमार मौर्य की मानें तो सांसद चयनित गांव उसरहा समेत ब्लॉक अंतर्गत 120 ग्राम पंचायतों के केवल 1400 कृषकों ने अपनी खतौनी ऑनलाइन कराया है, जिन्हें सरकारी अनुदान पर बीज व कीटनाशक उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने बताया कि एक ओर जहां शंकर धान के बीज वितरण की जिम्मेदारी कई बीज विक्रेताओं एवं प्राइवेट एजेंसियों को सौंपी गयी, वहीं विभागीय स्तर से 1400 बीघा धान के रोपण के लिए बीज भंडार पर उपलब्ध 55 ¨क्वटल प्रमाणित बीज में एनडीआर 3112 प्रमाणित 750 किलोग्राम बीज के खरीददार नहीं मिले, जो बच गया। बीज भंडार पर कृषि रक्षक पर्यवेक्षक विनय कुमार वर्मा ने बताया कि फफूंद व कीटनाशक दवाइयां सल्फर पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन खरीदने वाला ही कोई किसान नहीं है। कारण खतौनी ऑनलाइन कराने के बाद ही सब कुछ उपलब्ध हो सकता है।
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सरकार की नीति समझ से परे-जलालपुर : खेती-किसानी में सहयोग करने वाले न्याय पंचायत स्तर पर सहायक टेक्नीशियन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है, लेकिन कोई कर्मचारी किसी भी गांव में नहीं पहुंचता। रतना ग्राम पंचायत के किसान सूफियान अहमद, अजमलपुर के जंत्री यादव, पचरुखवा के मारकंडेय वर्मा, कुलहिया पट्टी के ओंकारनाथ समेत दर्जनों किसानों का कहना है कि सरकार की खेती-किसानी की वर्तमान नीति ही समझ से बाहर है। बताया कि ऑनलाइन खतौनी को दस्तावेज सुरक्षा की दिशा में तो बेहतर समझा जा सकता है, लेकिन किसानी के लिए खाद, बीज व कीटनाशक खरीद पर सरकारी स्तर से सहकारी समितियों व 210 बीज भंडारों पर ऑनलाइन खतौनी की व्यवस्था कारगर नहीं है।