जीवनदायिनी मड़हा नदी को ही जीवन की आस
कटेहरी (अंबेडकरनगर) : विधानसभा क्षेत्र के दोआबा क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली मड़हा नदी
कटेहरी (अंबेडकरनगर) : विधानसभा क्षेत्र के दोआबा क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली मड़हा नदी इन दिनों पूर्णत: सूख चुकी है। किसी समय नदी में जलधारा बहा करती थी, आज वहां धूल उड़ रही है। स्थानीय विधानसभा क्षेत्र फैजाबाद-अकबरपुर रेल मार्ग से दो भागों में विभक्त है। क्षेत्र का उत्तरी भाग शारदा सहायक नहर से ¨सचित है। वहीं दक्षिणी भाग मड़हा तथा बिसुही नदी से हरा-भरा रहता था। अपेक्षाकृत चौड़े पाट वाली मड़हा नदी निवासियों के लिए जीवनयापन का महत्वपूर्ण साधन थी। वन्य जीव, पक्षी अपनी प्यास बुझाते थे। वहीं क्षेत्रवासियों को कसहरी, ढाक के अलावा मवेशियों को घास, पानी भी उपलब्ध रहता था। प्रतिवर्ष गर्मियों में इस नदी में पानी कम हो जाता है तथा कई स्थानों पर नदी सूख जाती थी। इसके बावजूद जगह-जगह तल गहरा होने के कारण पानी भरा रहता था। कई जगह जलकुंभी से पटी नदी में पशु मुंह डाल पानी पी लेते थे, लेकिन इस वर्ष फरवरी माह से ही तेज धूप प़ने के कारण मड़हा नदी पूर्ण रूप से सूख गयी है। नदी में कहीं भी पानी नहीं है तथा जलकुंभी सूखकर धूल में बदल गई है। नदी के किनारे बैठाये गये खीरा-ककड़ी के पौधे नष्ट हो चुके हैं। मड़हा-बिसुही नदी के सूख जाने के कारा क्षेत्र के भूगर्भ जल स्तर में तेजी से गिरावट हो गई है। इसके चलते कम गहराई बो¨रग वाले हैंडपंप पानी छोड़ चुके हैं। मनुष्य तो अपने लिये जल की व्यवस्था जैसे-तैसे कर ले रहे हैं, लेकिन जंगली पशु-पक्षी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। दोआबा क्षेत्र में नीलगायों की असमय मौत का सिलसिला लगातार जारी है। जंगली सुअर पानी की तलाश में गांवों तक में घुस जा रहे हैं। पेड़ों पर रहने वाले पक्षी भी असमय काल का ग्रास बन जा रहे हैं।
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कभी नहीं पड़ा ऐसा सूखा-कटेहरी : दोआबा क्षेत्र निवासी 85 वर्षीय भगवत प्रसाद कहते हैं कि अपने होश में उन्होंने पहली बार मड़हा तथा बिसुही नदी को पूर्णत: सूखा देखा है। मिझौड़ा निवासी अब्दुल मन्नान इसे ऐतिहासिक घटना बताकर दुआ मांग रहे हैं। दोआबा निवासी 74 वर्षीय मातादीन ने भी कहा कि मड़हा नदी को इस तरह सूखते नहीं देखा है। हालांकि क्षेत्रवासी अच्छी बारिश होने की आस लगाए बैठे हैं।