शत-प्रतिशत हो नामांकन तो उद्देश्य होंगे सफल
अंबेडकरनगर : जिलाधिकारी विवेक ने कहा कि शिक्षा गुणवत्तापूर्ण हो और घर-घर पहुंचे। विद्यालयों में नाम
अंबेडकरनगर : जिलाधिकारी विवेक ने कहा कि शिक्षा गुणवत्तापूर्ण हो और घर-घर पहुंचे। विद्यालयों में नामांकन शत-प्रतिशत हो, बच्चों का ठहराव सुनिश्चित हो। तभी सर्वशिक्षा अभियान के उद्देश्य पूर्ण होंगे। इसके लिए सभी अधिकारी व शिक्षक संकल्प लें। वह सर्वशिक्षा अभियान के तहत निकाली गई स्कूल चलो अभियान की रैली को संबोधित कर रहे थे। प्रभारी सीडीओ मथुरा प्रसाद मिश्र ने कहा कि शिक्षा को सही दिशा प्रदान की जाए, यह जिम्मेदारी शिक्षकों की है। स्कूलों में शैक्षिक माहौल तैयार कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें, ताकि देश सही पथ पर आगे बढ़ सके। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जेएन ¨सह ने कहा कि सभी शिक्षक योग्य हैं, वे अपनी योग्यता से पढ़ाई का स्तर ऊंचा कर विद्यालय को माडल बनाएं और अंग्रेजी माध्यम के निजी विद्यालयों से खुद को आगे बढ़ाएं। प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर से जिलाधिकारी के नेतृत्व में रैली निकाली गई। रैली अकबरपुर नगर से होते हुए शहजादपुर स्थित लोहिया मूर्ति पहुंची, जहां से वापस प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर पहुंचकर समापन किया गया। इस दौरान शिक्षा है अनमोल रतन, पढ़ने का सब करो जतन आदि विभिन्न नारों से बच्चों ने जुड़वा शहर को गुंजायमान किया। हाथों में स्लोगन युक्त दफ्ती के साथ कतार में बच्चे, अधिकारियों के सिर पर टोपी, यातायात को नियंत्रित करते पुलिसकर्मी आदि रैली को आकर्षक बनाए हुए थे। रैली में जिला पंचायतराज अधिकारी, बीडीओ अकबरपुर राजीव कुमार, सभी खंड शिक्षा अधिकारी, जिला समन्वयक हृदयकुमार मिश्र, डॉ. देवेंद्र कुमार ¨सह, दिनेश वर्मा, अकबरपुर बीईओ बड़कऊ वर्मा, किरन ¨सह, अर¨वद लाल पटेल आदि शामिल रहे।
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परिषदीय विद्यालयों में सुधार की जरूरत-अंबेडकरनगर : सरकार एमडीएम, ड्रेस, पुस्तकों, छात्रवृत्ति आदि के नाम पर परिषदीय विद्यालयों में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इसके बावजूद निजी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में ही बच्चों की भीड़ बढ़ रही है, जो यह साबित करती है कि परिषदीय विद्यालयों में फर्श से ही सुधार की जरूरत है। विभाग को संगठित होकर अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों का तिलिस्म तोड़ना होगा। यह मानना है नगर के निवासी जवाहर लाल, रवि प्रकाश और फूला देवी का। इनका कहना है कि समय से सरकारी स्कूल में न तो किताबें मिलती हैं और न ही ड्रेस। भोजन और पढ़ाई की व्यवस्था भी बदहाल है। इस कारण लोग अपने बच्चों का दाखिला कराने से कतराते हैं।