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खाद्यान्न आवंटन में खेल, बगैर नापतौल रहे ढकेल

अंबेडकरनगर : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को दिए जाने वाले खाद्यान्न पर सयनों की नजर लगी है

By Edited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 12:02 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 12:02 AM (IST)
खाद्यान्न आवंटन में खेल, बगैर नापतौल रहे ढकेल

अंबेडकरनगर : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को दिए जाने वाले खाद्यान्न पर सयनों की नजर लगी है।

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गरीबों को मिलने वाले अधिकार को ऊपर से लेकर नीचे तक डकारने वालों की लाइन लगी है। इसपर शिकंजा कसने वाली निगहबान आंखें भी दगाबाज हो चुकी हैं। यही वजह है कि अनुपालन को बनाए गए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ब्लॉक स्तर पर खाद्यान्न पहुंचने के बाद बंदरबांट का खेल शुरू होता है। पर्दे के पीछे दो को तीन बनाने का खेल चल रहा है।

गौरतलब है कि जिले में अंत्योदय के अलावा गरीबी रेखा से नीचे, गरीबी रेखा के उपर तथा अतिरिक्त आवंटन के तहत सैंकड़ों टन अनाज प्रतिमाह वितरण के लिए पहुंचता है। इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय पर गोदाम बनाए गए हैं। इन गोदामों पर अनाज के पहुंचने पर बकायदे वजन किया जाता है। जबकि विभागीय नियमों के अनुसार उक्त खाद्यान्न कोटेदारों को दिए जाते समय तौल किया जाना चाहिए। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि प्रत्येक कोटेदार को होने वाले आवंटन का दस फीसद अनाज तौल किया जाता है। इसी के आधार पर बोरियों की गिनती करते हुए खाद्यान्न का आवंटन कर दिया जाता है। अकबरपुर विकासखंड क्षेत्र के ककरडिल्ला खाद्यान्न के गोदाम पर पारदर्शिता के मानक धूमिल और मनमानी नजर आते हैं। कोटेदारों को दिए जाने वाली चावल तथा गेहूं की बोरी को तौल करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं दी गई है। ऐसे में सीधे तौर पर बगैर तौल के इन बोरियों में 51 किलोग्राम अनाज का वजन मानते हुए आवंटित किया जा रहा है। जबकि उक्त बोरियों में 40 से 45 किलोग्राम वजन ही बाहर तौल कराए जाने पर ठहरता है। ऐसे में एक कोटेदार को होने वाले छह सौ से सात सौ ¨क्वटल के आवंटन में 30 से 35 ¨क्वटल अनाज कम दिया जाता है। ऐसा ही मामला सामने भी आया अकबरपुर बस स्टेशन की कोटे की दुकान को आवंटित खाद्यान्न की बोरियों का। जागरण की निगरानी तेज होने पर विपणन निरीक्षक ने इसमें 32 ¨क्वटल अनाज कम होने की बात कही। मौके पर मिले विपणन सहायक अशोक पांडेय बताते हैं कि एफसीआई से ही खुली बोरियों में कम वजन में अनाज पहुंचता है। कर्मचारियों की कमी के चलते कोटेदार ही तौल कराते हैं। ऐसे में विश्वास के आधार पर कोटेदार द्वारा मांग किए जाने पर शेष अनाज आवंटित कर दिया जाता है। वहीं खाद्य विपणन निरीक्षक आशुतोष ¨सह बताते हैं कि प्रत्येक बोरी में 51 किलोग्राम वजन मानते हुए आवंटन किया जाता है। अधिक बारी दिए जाने पर खाद्यान्न की कमी कौन भरेगा?

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-अंदर तैयार होतीं अनाज भरी बोरियां-

अंबेडकरनगर : गोदाम में अंदर ही अंदर आवंटित संख्या से अधिक अनाज की बोरियां तैयार की जाती हैं। इसका नजार शुक्रवार को जागरण टीम ने देखा। गोदाम के अंदर बिखरे हुए अनाज तथा अन्य बोरियों में कांटा लगाकर अनाज गिरा इससे नई बोरी तैयार की जा रही थी। विपणन सहायक अशोक पांडेय ने बताया कि उक्त अनाज को वापस बोरियों में सील खोलकर रखा जा रहा है। बताया कि किसी भी कोटेदार को कम आवंटन नहीं दिया जाता है। हालांकि ऐसे में बाहर नष्ट होने वाले अनाज की भरपाई किए जाने को लेकर वह जवाब नहीं दे सके।

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-चावल घटता और गेंहू बढ़ता-

अंबेडकरनगर : गोदाम में रखे जाने वाले चावल तथा गेंहू के वजन में अधिकारी लगातार फर्क होने की बात कहते हैं। विपणन निरीक्षक बताते हैं कि गेंहू नमी सोखता है, ऐसे में प्रति ¨क्वटल एक से दो किलोग्राम का इजाफा होता है। जबकि चावल में नमी सूखती है। तो इसका वजन भी कम होता है। ऐसे में सवाल है कि कमी को पूरा करने तथा अधिक वजन को गरीबों तक पहुंचाए जाने के लिए विभागीय कवायद कुंद पड़ी है। निगरानी के अभाव में गरीबों के हक को सयाने डकार रहे हैं।


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