मनमानी, घरजानी के तर्ज पर चढ़ रही पढ़ाई
अंबेडकरनगर : जागरण टीम ने मंगलवार को भियांव शिक्षा क्षेत्र के कुछ विद्यालयों का जायजा लिया तो परिषदी
अंबेडकरनगर : जागरण टीम ने मंगलवार को भियांव शिक्षा क्षेत्र के कुछ विद्यालयों का जायजा लिया तो परिषदीय विद्यालयों में अव्यवस्था व मनमानी की तस्वीर सामने आयी। सबसे बड़ी आबादी के गांव में रतना में स्थित आठ प्राथमिक व दो जूनियर हाई स्कूलों का निर्धारित समय से डेढ़ घंटे बाद भी विद्यालय का ताला ही खोला गया। प्रधानाध्यापक अर¨वद कुमार सवा नौ बजे विद्यालय पहुंचे। सहायक प्रदीप कुमार व राधेश्याम भी इसके बाद पहुंचे। राजेंद्र ¨सह गैरहाजिर थे। अध्यापकों के पहुंचने से पहले ही अधिकांश बच्चे विद्यालय पहुंच उछलकूद व शरारत में मशगूल रहे। अध्यापकों ने पहुंचते ही विद्यालय की सफाई भी छात्र-छात्राओं से करायी। रसोइया में प्राणपत्ती, कलावती व झिनका तो समय से पहुंचीं, लेकिन चाबी के अभाव में देर से मिले राशन से भोजन बनाना शुरू किया। मिड-डे-मील मानक के अनुसार रहा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इंद्र प्रभा गैरहाजिर रहीं। पुष्पा यादव लेट लतीफ विद्यालय पहुंची। वहीं सहायिका मालती व रीता गैरहाजिर थीं। प्राथमिक विद्यालय में कुल पंजीकृत 161 में केवल 104 बच्चे उपस्थित हुए। आंगनबाड़ी के पंजीकृत 50 में 22 बच्चों की उपस्थित रही। केंद्र का भवन न होने से सभी के लिए हाटकुक की व्यवस्था आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के घर से की जा रही है। अधिकांश छात्र ड्रेस में नहीं दिखे। समूचा परिसर आवारा पशुओं की चरागाह बना है। विवाद के चलते चहारदीवारी भी मुकम्मल नहीं है। परिसर में पेयजल के लिए खोदा गया कुआं क्षतिग्रस्त है। पठन-पाठन इतना कमजोर है कि कक्षा पांच की छात्रा महिमा, रंजना आदि को पहाड़ा तक याद नहीं।-----------------------जर्जर भवन में हादसे का खतरा- उच्च प्राथमिक विद्यालय इनामीपट्टी भी वजूद के लिए तरस रहा है। 15 वर्ष बाद भी ग्राम पंचायत की भूमि विद्यालय के नाम न हो सकी। दयनीय स्थिति विद्यालय में चार दर्जन से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। शौचालय तक अधूरा है। मंगलवार को 11 बजे के निरीक्षण में प्रधानाचार्य रामशकल, सहायक जियालाल गौड़ व अर¨वद विश्वकर्मा समेत रसोइया सावित्री देवी, सुदामा उपस्थित मिलीं। भवनों की छत टपकती है। दीवारें जर्जर होने से हादसे का खतरा है। विद्यालय में पंजीकृत 57 में 41 बच्चे उपस्थित रहे। अतिरिक्त कक्ष समेत कई कमरों में खिड़कियां, दरवाजे व जंगले तक नहीं लगे हैं।