जीवन आधार बनाने में काम आया स्वाधार
अंबेडकरनगर सात जन्म साथ निभाने की कसम खाने वाले पति ने सात ही दिन में नाता तोड़ दिया। दिल की सुनी त
अंबेडकरनगर
सात जन्म साथ निभाने की कसम खाने वाले पति ने सात ही दिन में नाता तोड़ दिया। दिल की सुनी तो घरवालों ने मुंह मोड़ लिया। ऐसा समय जब लगा खुद की परछाई भी साथ नहीं। ऐसी महिलाओं के जीवन को सुधारने के लिए आगे आया स्वाधार केंद्र। महिलाओं को आसरा तो मिला ही, साथ ही वह हुनर भी सिखाया गया जिससे उन्हें जीवन जीने की कला आ गई।
चलिए आपको स्वाधार केंद्र का नजारा करवाते हैं। जिला मुख्यालय के निकट फैजाबाद मार्ग पर करीब एक किलोमीटर की दूरी पर दस कमरों का स्वाधार केंद्र नजर आता है। यहां कम उम्र से लेकर अधेड़ व वृद्ध महिलाएं हाथों में हुनर पैदा करने में जुटी हैं। चार सिलाई मशीनों पर सुविस्ता, प्रियंका, सीमा और कमला पोशाक तैयार करने में जुटी हैं तो वहीं फर्श पर बिछी त्रिपाल पर कृष्णावती, कंचन, सुनीता, शालू और माधुरी हाथों में कैंची थामे अखबार पर पोशाक की डिजाइन तैयार कर रही थीं। इनके बीच मौजूद केंद्र की अधीक्षिका स्नेहलता वर्मा सिलाई तथा डिजाइन बनाने का निर्देश देती नजर आईं। ---------------
अपनों ने ऐसा दिया दर्द
महज नौ साल की उम्र में कृष्णावती का विवाह अकबरपुर के अमरौला में हुआ था। सात फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने की कसम लेने वाले पति ने हाथ छोड़ दिया। माधुरी ने प्रेम विवाह किया और मायकेवालों ने नाता तोड़ लिया। ससुरालीजनों के प्रेम विवाह को स्वीकार नहीं करने पर पति उसे शहर में छोड़कर भाग गया। केंद्र की अधीक्षिका कहती हैं कि यहां से कई महिलाओं को उनके परिवार में खुशी-खुशी भेजा गया है। जिन्हें अभी तक सहारा नहीं मिला है उन्हें केंद्र कभी भी अपने से दूर नहीं करेगा।
यह है केंद्र की भौतिक व्यवस्था
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से प्रायोजित इस स्वाधार केंद्र पर 50 महिलाओं को आश्रय दिए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अनुपात में यहां अभी 42 महिलाओं को आश्रय मिला है। सरकार की ओर से प्रत्येक महिला के दिनभर के भोजन एवं चाय नाश्ते के लिए महज 16 रुपये दिए जाते हैं। जबकि बिस्तर और भवन का किराया भी भुगतान किया जाता है।