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निकम्मी प्रदेश सरकार कर रही वादाखिलाफी

अंबेडकरनगर : माध्यमिक वित्त विहीन शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद हीराराम पटेल ने कहा कि निकम्मी प्रदे

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 11:37 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 11:37 PM (IST)
निकम्मी प्रदेश सरकार कर रही वादाखिलाफी

अंबेडकरनगर : माध्यमिक वित्त विहीन शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आनंद हीराराम पटेल ने कहा कि निकम्मी प्रदेश सरकार शिक्षकों के हितों को लेकर वादा खिलाफी कर रही है। इसके विरोध में सोमवार से शुरू हो रहे बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का विरोध किया जाएगा। इसके लिए रणनीति तय हो चुकी है। सभी वित्त विहीन शिक्षक संबंधित मूल्यांकन केंद्र पर उपस्थिति दर्ज कराने के बाद विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। मूल्यांकन केंद्रों के बाहर प्रदर्शन के साथ धरना दिया जाएगा।

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जिलाध्यक्ष रविवार को नगर के एक जलपानगृह में पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने चुनावी वादों में वित्त विहीन शिक्षकों को जीविकोपार्जन के लिए मानदेय दिए जाने का वादा किया था। इसे पूरा करने के नाम पर सिर्फ वादे किए गए हैं। बजट प्रस्तुतिकरण के दौरान वित्त विहीन शिक्षकों को मानदेय दिए जाने के नाम पर फूटी कौड़ी भी प्रस्तावित नहीं किए जाने से सरकार की मंशा स्पष्ट हो रही है। ऐसे में आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि माध्यमिक के शिक्षकों के साथ दोहरा मानदंड अपनाया जा रहा है। कक्ष निरीक्षण से लेकर मूल्यांकन तक के लिए बेहद कम मानदेय दिया जाता है। कहा गया कि मूल्यांकन के नाम पर केंद्र पर पहुंचने के लिए एक बार जाने तथा वापस लौटने का यात्रा भत्ता दिया जाता है। जबकि मूल्यांकन केंद्र पर ठहरने तथा भोजन के नाम पर एक दिन का सिर्फ 16 रुपये मानदेय दिया जाता है। जबकि अन्य बोर्ड में शिक्षकों को प्रतिदिन के हिसाब से 250 रुपये तक का भुगतान किया जाता है। ऐसे में संगठन ने भोजन भत्ते में 150 रुपये दिए जाने की मांग की है। मानदेय दिए जाने के लिए कुशल श्रमिक को मिलने वाले प्रतिदिन 325 रुपये से अधिक मानदेय दिए जाने को कहा। प्रति उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के लिए पांच से सात रुपये दिए जाने पर रोष जताते हुए जिलाध्यक्ष ने 15 से 17 रुपये दिए जाने की मांग की। वर्ष 2011 से गत वर्ष तक मूल्यांकन एवं कक्ष निरीक्षण पारिश्रमिक बाधित होने पर नाराजगी जाहिर की। कहा गया कि उक्त समस्याओं का निस्तारण किए जाने के बाद ही मूल्यांकन कार्य शुरू होगा। वित्त विहीन शब्द को लेकर खफा जिलाध्यक्ष ने कहा कि यह सिर्फ शिक्षा जगत में ही चल रहा है। आने वाले समय में सभी शिक्षक वित्त विहीन होंगे। ऐसे में शिक्षक भूखा रहकर शिक्षण कार्य नहीं कर सकता है। बोर्ड परीक्षा के दौरान लेखपालों को प्रधानाचार्यों तथा प्रवक्ताओं पर निगरानी के लिए स्टेटिक मजिस्ट्रेट बनाए जाने पर रोष व्यक्त करते हुए जिलाध्यक्ष ने कहा कि इससे शिक्षक तथा शिक्षा जगत का अपमान हुआ है। भविष्य में इसे दोहराए जाने को शिक्षक संघ बर्दाश्त नहीं करेगा।


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