इंटरनेट ने बढ़ाई किताबों की दुनिया से दूरी
अंबेडकरनगर : इंटरनेट ने जहां एक ओर तमाम सुविधाएं दीं। वहीं इसके प्रचलन से छात्रों का रुझान किताबों क
अंबेडकरनगर : इंटरनेट ने जहां एक ओर तमाम सुविधाएं दीं। वहीं इसके प्रचलन से छात्रों का रुझान किताबों की दुनिया के प्रति कम होता जा रहा है। कारण छात्र-छात्राएं अब पुस्तकालयों की बजाय मोबाइल स्क्रीन पर ही उलझे नजर आ रहे हैं। ऐसे में कॉलेजों के पुस्कालय में बेंच सूनी रहती हैं।
इंटरनेट के मकड़जाल में उलझे युवा छात्र किताबों से दूर हो गए हैं। अब पुस्तकालयों में छात्रों में अखबार मैगजीन पढ़ने के लिए छीना-झपटी नहीं होती है। छात्रों के पास ह्वाटसएप, चैटिंग, फेसबुक आदि सोशल साइटों से फुर्सत नहीं मिलती। इसके अलावा टीवी की दुनिया भी शेष समय खत्म कर देती है। इसके चलते नगर स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की लाइब्रेरी में कई वर्षो से ताला बंद है। भवन जर्जर हो चुका है। लाइब्रेरी में न तो किताबें मौजूद हैं और न ही छात्रों को बैठने आदि की कोई व्यवस्था। ऐसे में छात्राओं को पुस्तक कैसे मिलती होगी? बताने की जरूरत नहीं है। पुस्तकालय प्रभारी उपासना रानी वर्मा ने बताया कि कुछ किताबें ही यहां मौजूद हैं। लाइब्रेरी की किताबों को पढ़ने में छात्रों की रुचि भी नहीं है। यहां की लाइब्रेरी को नगर के गणेश कृष्ण जेटली इंटर कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया है। वहीं नगर के बीएन इंटर कॉलेज में लाइब्रेरी में पड़ीं पुस्तकें धूल फांक रही हैं। देखरेख नहीं होने से पूरे कमरे मे किताब से लेकर बेंच तक धूल जमा हुई है। किताबों में दीमक लग गए हैं। कमरे की हालत को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्षो से लाइब्रेरी में न तो नई किताब मंगाई गई हैं और न ही यहां कोई छात्र पढ़ने आया है। पुस्तकालय अध्यक्ष अभिषेक कुमार शर्मा ने बताया कि नई किताबों को मंगवाकर अलमारी में रखा जाता है। छात्रों की लाइब्रेरी की किताबों को पढ़ने में रुचि भी नहीं होने से लाइब्रेरी का महत्व कम होता जा रहा है। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लाइब्रेरी के बजाय मोबाइल स्क्रीन पर छात्रों की आंखें उलझने से लाइब्रेरी का महत्व कम हो गया है।