मिंट्टी के दीपकों को निगल रहा ड्रैगन का झालर
अंबेडकरनगर : दीपावली की रौनक बाजारों में दिखने लगी है। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। लोगों का हुजू
अंबेडकरनगर : दीपावली की रौनक बाजारों में दिखने लगी है। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। लोगों का हुजूम खरीदारी के लिए उमड़ने लगा है। बाजार सोने, चांदी तथा अन्य धातुओं से लेकर चीनी मिट्टी तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों से सजने लगा है। इस मौके पर मिठाई की दुकानों पर भी खास रौनक दिखने लगी है। उधर चाइनीज झालरों से लेकर चुनार, लखनऊ, कानपुर, जयपुर दिल्ली मिट्टी की मूर्तियां, पत्थर टाइल्स की मूर्तियां, पटाखे आदि सामान दुकानों पर सजने शुरु हो गए है।
दीपावली के पर्व को महज तीन दिन ही शेष हैं। ऐसे में नगर के शहजादपुर लोहिया मूर्ति चौक से लेकर मालीपुर रोड, पहितीपुर मार्ग से अकबरपुर बस स्टाफ आदि जगहों पर मूर्तियां जलने वाले झालर सहित पटाखों की दुकान सज गई है। 10 रुपये से लेकर 5100 रुपये तक की लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां दुकानों पर उपलब्ध है। पत्थर टाइल्स की मूर्तियों के दाम 100 से लेकर दस हजार रुपये तक है। झालरों की कीमत में इस बार करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि दुकानदार बता रहे हैं। मूतिर्यो में भी तकरीबन 20 प्रतिशत मंहगाई बढ़ी है। दुकानदार अंकित अग्रवाल ने बताया कि ग्राहकों की पंसद ज्यादातर टाइल्स की मूर्तियां होती है। इस बार मूर्तियों में 15 प्रतिशत मंहगाई बढ़ी है। चाइनीज झालरों के बाजारों में धमक ने मिट्टी के दीपक की रोशनी को फीका करना शुरू कर दिया है। इसके चलते गांव में दीये बनाने वाले कुम्हारों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है। इसका कारण जहां लोग मिट्टी के दीपक से घरों को रोशन करते थे। वहीं पिछले चार पांच वर्षो से चाइनीज झालर व मोमबत्ती के शौक मिट्टी के दीपक को लोगों की पहुंच से दूर करने का काम कर रही है। इससे अधिकतर गांव के कुम्हार अब कम दीये बनाने लगे हैं। पतौना निवासी कुम्हार राजाराम ने बताया कि जब दीये की खरीदारी करने वाले ही कम रह गए हैं तो ज्यादा बनाने से क्या फायदा। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक चायनीज दीये की मांग हर साल बढ़ती जा रही है।