कचहरी की सुरक्षा को बेफिक्र हाकिम
अंबेडकरनगर : प्रवेश द्वार पर न पुलिसकर्मी और न ही मुख्य भवन पर मेटल डिटेक्टर। ऐसे में सैंकड़ों की भीड़ बेरोकटोक परिसर में आवागमन कर रही है। कचहरी की सुरक्षा के प्रति पुलिस-प्रशासन के हाकिमों की इस कदर बेफिक्री भारी पड़ सकती है।
23 नवंबर 2007 को फैजाबाद, बनारस एवं लखनऊ जिले के कचहरियों में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट किए गए। इस आतंकी घटना में दर्जनभर लोग काल कवलित हो गए थे जबकि कई घायल। इस घटना के बाद शासन ने सभी जिलों की कचहरियों की सुरक्षा का प्लान तैयार किया था। चौकसी और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी। तत्समय यहां जनपद न्यायालय के मुख्य भवन के प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाकर आने-जाने वाले अधिवक्ताओं एवं वादकारियों की चेकिंग की जाती थी। समय बीतने के साथ पुलिस महकमें ने सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम वापस ले लिए। मौजूदा समय में महज डेढ़ सेक्शन पीएसी के जवानों के कंधों पर जनपद न्यायालय की सुरक्षा का जिम्मा सौंप दिया गया है। यह परिसर के भीतर मौजूद रहते हैं। यहां न्यायालय परिसर में प्रवेश के लिए दो मुख्य द्वार हैं, जहां पुलिस कर्मियों की तैनाती नहीं की जाती और न ही मुख्य भवन पर ही सुरक्षा के कोई इंतजाम हैं। पूर्वी द्वार के बाहर वादकारियों एवं अधिवक्ताओं के सैकड़ों वाहन दिन भर खड़े रहते हैं। वहीं गत दिनों अकबरपुर तहसील परिसर में बम मिलने के बाद बीएमसी की ओर से धमकी भरा पत्र भेजकर बार अध्यक्ष डीपी सिंह समेत कई अधिवक्ताओं को जान से मारने की धमकी भी दी गई है। मामले में सचिव मनीराम यादव की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। मामले का पर्दाफाश न होने से अधिवक्ता आंदोलित हैं। इसके बावजूद पुलिस महकमा जनपद न्यायालय की सुरक्षा के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहा है।