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उफान पर घाघरा, गहराने लगा भोजन व चारे का संकट

By Edited By: Published: Sun, 17 Aug 2014 11:50 PM (IST)Updated: Sun, 17 Aug 2014 11:50 PM (IST)
उफान पर घाघरा, गहराने लगा भोजन व चारे का संकट

इल्तिफातगंज (अंबेडकरनगर) : घाघरा नदी का जल स्तर लगातार उफान की ओर बढ़ रहा है। नदी के बढ़ते जल स्तर के चलते बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है। घाघरा नदी का जल स्तर रविवार दोपहर 12 बजे तक खतरे के निशान से 47 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया। जल स्तर में बीते दिनों से लगातार एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। इसके चलते मांझा के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

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घाघरा नदी का जल स्तर सप्ताह भर से खतरे के निशान से नीचे रहने के बाद विभिन्न स्थानों से छोड़े गए भारी पानी के चलते नदी के पानी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। शारदा बैराज लखीमपुर से 23 हजार 400 क्यूसेफ, गिरजा बैराज बहराइच से तीन लाख 68 हजार 622 क्यूसेफ व सरयू बैराज से एक लाख 83 हजार 828 क्यूसेफ पानी 15 अगस्त शाम को छोड़े जाने के बाद नदी का जल स्तर तेजी से खतरे के लाल निशान को पार कर ऊपर पहुंच गया। रविवार प्रात: आठ बजे नदी का जल स्तर 93.160 पर दर्ज किया गया, जो खतरे के लाल निशान 92.730 मीटर से 43 सेंटीमीटर ऊपर है। जबकि दोपहर 12 बजे 93.200 पर 47 सेंटीमीटर ऊपर है। नदी के जल स्तर में लगातार एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। नदी के जल स्तर में हुई वृद्धि से मांझा क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। जहां नदी के पानी से सैकड़ों बीघा खेत पूरी तरह से जलमग्न हो चुके है। वहीं दूसरी तरफ मवेशियों के रखरखाव व चारे की व्यवस्था कर पाना ग्रामीणों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। मांझा क्षेत्र के ग्रामीणों को रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए दो-चार होना पड़ रहा है। मांझा उल्टहवा ग्राम के लगभग तीन दर्जन से अधिक घर पानी से चारों तरफ से घिर गए है। जिससे रामचंदर, हीरालाल, दिलशेर, राजकुमार, मुन्नीलाल, रामप्रीत सहित आदि के मकान बाढ़ से प्रभावित है। साथ ही गांवों की आबादी का हिस्सा पूरी तरह से जलमग्न है। वहीं नगर क्षेत्र के मेहनिया में आधा दर्जन से अधिक घरों तक नदी का पानी पहुंच चुका है। मेहनिया के जितेंद्र, शिवलाल, राकेश, सुनील आदि के घर तक पानी पहुंच या है। जबकि प्रशासन द्वारा नदी के बढ़ते जल स्तर को नजरंदाज कर अभी तक कोई भी राहत कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। तहसील प्रशासन बाढ़ से निपटने का दावा तो कर रहा है, परंतु उसने कोई भी जमीनी अस्तित्व अब तक नहीं दिखा। प्रशासन द्वारा स्थापित चौकियों पर कोई भी कर्मचारी तैनाती के बावजूद नहीं पहुंच रहा है। उप जिलाधिकारी सोमदत्त मौर्य ने तहसील क्षेत्र में स्थापित बाढ़ राहत चौकियों पर कर्मचारियों की अनुपलब्धता स्वीकारते हुए कहा कि जल्द ही कर्मचरियों के उपलब्ध कराने की बात कहीं। कहा कि जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। तहसीलदार द्वारा रविवार को निरीक्षण करवाया गया, साथ ही ग्रामीणों की सुविधा के लिए नावें लगायी गई है।


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