अल्लाह को आडंबर नहीं खुलूस-ए-दिल पसंद
अंबेडकरनगर : बुझाओ जहन्नम की आग को मोमिन को इफ्तार कराकर। यह कथन है पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो वाआलेही वस्ल्लम का। धर्म गुरु मौलाना वसी हसन खां ने शिया जामा मस्जिद मीरानपुर में स्व. सैयद मोहम्मद हारून रिजवी की मजलिस-ए-बरसी की मजलिस पढ़ते हुए कहा अल्लाह आडंबर नहीं बल्कि खुलूस-ए-दिल और नीयतों को पसंद फरमाता है।
मौलाना वसी ने नबी-ए-करीम के हवाले से कहा यदि कोई अमीर आदमी दुनिया को अपना वजन दिखाने के लिए असंख्य लोगों को अनेक स्वादिष्ट व्यंजनों से भले ही संतुष्ट कर दें, परंतु अल्लाह उसके इस अमल से हर्गिज खुश नहीं हो सकता। इसके विपरीत साधारण सा मनुष्य भी अगर प्रेम पूर्वक एक प्यासे इंसान को मात्र पानी पिला दे तो खुद की नजर में उसका यह बेहतरीन अमल होगा। उन्होंने कहा कि अल्लाह दिलों का हाल जानने वाला है। लिहाजा अपने मन मस्तिष्क में कतई गुरूर व घमंड को न पालें। मालिक-ए-हकीकी ने इंसान को संसार में सिर्फ इसलिए नहीं भेजा कि वह केवल अपने लिए जिये, बल्कि वह दूसरों के भी काम आए। मौलाना ने हुक्म-ए-खुदा का जिक्र करते हुए कहा सर्वप्रथम मां का हक, फिर बच्चों का, उसके बाद परिवार का फिर पड़ोसी और अंत में समाज के प्रति हक अदायगी करो। उन्होंने कहा कि गुनाहों को याद रखना और नेकियों को भूल जाना भी श्रेयस्कर है। कार्यक्रम की समाप्ति पर आयोजक गुलाम अब्बास रिजवी ने उपस्थितजनों के प्रति आभार जताया।