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त्रिनेत्रधारी मां कालरात्रि के पूजन को उमड़े श्रद्घालु

By Edited By: Published: Sun, 06 Apr 2014 09:22 PM (IST)Updated: Sun, 06 Apr 2014 09:22 PM (IST)
त्रिनेत्रधारी मां कालरात्रि के पूजन को उमड़े श्रद्घालु

अंबेडकरनगर : नवरात्र पर्व सातवें दिन चरम पर पहुंच चुका है। नगर से लेकर गांव तक श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा के सातवें स्वरूप त्रिनेत्रधारी मां कालरात्रि की विधिवत स्तुति कर पूजन-अर्चन किया। इस दौरान माता का ध्यान कर भक्तों ने मुरादें मांगी।

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नगर के गायत्री शक्ति पीठ में सात कुण्डीय यज्ञ का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर माता की भव्य आरती उतारी। लाल चुनरी व नारियल चढ़ा मां से सुख-शांति व समृद्धि का वरदान मांगा। इस दौरान भक्ति गीतों से वातावरण गुंजायमान रहा। मां को मेवा, मिश्री का भोग लगा सुगंधित पुष्प अर्पित किए। सात कुंडीय यज्ञ में हरिओम पांडेय, राम रतन, पारुल, राम कल्प वर्मा, शांति तिवारी, मंजू मंद्देशिया, कुशुम पांडेय, करुणा तिवारी, हेमलता आदि शामिल रहीं। विद्युतनगर संवादसूत्र के मुताबिक नगर के छज्जापुर स्थित उदासीन आश्रम बड़ा फाटक में भव्य भगवती जागरण आयोजित किया गया। यहां माता को झांकी स्वरूप में विराजमान रहीं। महंत डॉ. चंद्र प्रकाश त्रिपाठी ने विधि विधान से पूजन-अर्चन किया। युवा लोक गायकों ने भजन के जरिए माता की आराधना की। यहां आनंद अग्रवाल, जंग बहादुर यादव, केसी गुप्त, विजय गुप्त, कमलेश मिश्र, केएल गुप्त व अन्नू अग्रवाल आदि शामिल रहे। जलालपुर संवादसूत्र के मुताबिक नगर के रामलीला मैदान में जगराते का आयोजन हुआ। यहां ख्यातिलब्ध मानस कोकिला विजय लक्ष्मी शास्त्री ने माता के नौ रूपों की व्याख्या कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। जगत माता सीता के अलावा कैकेई, उर्मिला के चरित्र चित्रण किया। इल्तिफातगंज संवादसूत्र के मुताबिक नवरात्र के सातवें दिन मंदिरों में पूजन-अर्चन कर श्रद्धालुओं ने मनोवांछित फल की कामना की। टांडा नगर के सकरावल मोहल्ले में रामसूरत मौर्य के आवास पर जागरण का आयोजन किया गया। इसमें कलाकारों ने देवी गीत व भजन पर नृत्य किया। सोमवार को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप को महागौरी का पूजन-अर्चन किया जाएगा।

तन से अंधकार की तहर काली तथा गले में स्वेत माला को धारण किए हुए गर्दभ वाहन पर सवार माता कालरात्रि त्रिनेत्रधारी हैं। श्वास व प्रश्वास से अग्नि की ज्वाला निकलती है। मां का यह रूप भले ही भयानक हो लेकिन स्मरण किए जाने पर मां अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। माता के इस स्वरूप का ध्यान किए जाने से आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। ब्रह्मांड के समान उनके नेत्र संसार को समग्रता में देखने की प्रेरणा देते हैं।


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