इतिहास के पन्नों में खास हैं फात्मा जहरा
अंबेडकरनगर : सरवर-ए-कायनात हजरत मोहम्मद साहब की बेटी जनाबे फात्मा जहरा का इस्लामी इतिहास में जो स्थान है वह किसी अन्य खातून का नहीं है। रसूले खुदा स्वयं बीबी फात्मा जहरा का अत्याधिक सम्मान करते थे।
रामपुर मंगुराडिला में ईरान के कुम शहर से आये मौलाना जैगमउर रिजवी ने सालाना मजलिस कार्यक्रम से संबोधित करते हुए कहा कि बीबी फात्मा जहरा आलम के तमाम मुसलमानों की मां है। उनकी जीवन शैली हम सब के वास्ते नमूनये अमल है। खत्मुल अंबिया मोहम्मद साहब की इकलौती पुत्री होने और खुदा की नजर में विशेष स्थान रखने का गौरव प्राप्त होने के बावजूद बीबी फात्मा का सादगी पूर्ण रहन सहन उम्मत के लिए प्रेरणादायक है। वह सदा दान में अपनी सबसे पसंदीदा वस्तु सायल को देती थी। ईरान से ही आये एक अन्य मौलाना सैय्यद सिब्तैन अब्बास रिजवी ने भी मजलिस पढ़ी। मोहम्मद मिया आब्दी ने खुत्बा-ए-फात्मा जहरा पढ़ा। जबकि ख्यातिलब्ध शायर रजा सिर्सिवी, शबीब फैजाबादी, इर्फान मेहदी, सैफ जलालपुरी ने कलाम पेश किया। आरिफ अनवर अकबरपुरी व मौलाना नूरूल हसन के संचालन में संपन्न कार्यक्रम में मोहम्मद एबाद, फरहत अब्बास, सैय्यद नेहाल असगर, सैय्यद शमीम अहमद, आरिफ हसन, सैय्यद काजिम रजा, कमर जैदी आदि मौजूद थे। सैय्यद शब्बर जैदी द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम के हजारों मोमनीन गवाह बने।