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होली के हुड़दंग में रंगा शहर व ग्रामीण इलाका, हो रही रंगों की फुहार

होली की मस्‍ती लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाकर गले लग रहे हैं। वहीं युवाओं और बच्‍चों की टोली रंग से सरोबार है। हर ओर उल्‍लास व उत्‍साह का माहौल है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 11:01 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 11:01 AM (IST)
होली के हुड़दंग में रंगा शहर व ग्रामीण इलाका, हो रही रंगों की फुहार
होली के हुड़दंग में रंगा शहर व ग्रामीण इलाका, हो रही रंगों की फुहार

प्रयागराज : होली के हुड़दंग में शहर रंगा है। रंगों की बारिश में लोग तरबतर हो रहे हैं। वैसे जश्न का सिलसिला तो बुधवार रात से ही शुरू हो गया। होलिका जलते ही युवाओं की टोली मस्ती के मूड में आ गई। एक-दूसरे के ऊपर अबीर-गुलाल उड़ाकर खुशियां मनाई गईं। ढोल-ताशा व फिल्मी गीतों पर देर-रात तक युवाओं की टोली थिरकती रही। गुरुवार की सुबह होलिका तापने की परंपरा भी निभाई गई। गुरुवार के साथ शुक्रवार को भी रंग बरसाने का सिलसिला जारी रहेगा।

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हर ओर मस्ती का रंग

बुधवार की रात 8.12 बजे तक भद्रा का प्रभाव था। इसके चलते होलिका दहन भद्रा खत्म होने के बाद रात 8.30 बजे के बाद शुरू हुआ। वैसे सूर्यास्त के बाद होलिका दहन की तैयारी होने लगी। वसंत पंचमी पर जिस स्थान पर प्रह्लाद का पूजन करके लकड़ी रखी गई थी, वहीं होलिका का दहन किया गया। गुरुवार की सुबह होलिका की परिक्रमा करके उसे तापने के बाद रंग खेला गया। रंग खेलने का सिलसिला गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी चलेगा।

होलियारों की टीम मस्ती में सराबोर

चौक, अतरसुइया, दारागंज, कटरा, कीडगंज, सिविल लाइंस, लोकनाथ सहित हर मुहल्ले में होली तापकर रंग खेलना शुरू हुआ। होलियारों खासकर युवाओं की टोली गली-गली निकल रही है। मदमस्त भाव में एक-दूसरे पर रंग-गुलाल उड़ा रहे हैं। लोकनाथ में कपड़ा फाड़ होली खेलने के लिए हजारों होलियारों का जमघट हुआ। उनके ऊपर रंग बरसाने के लिए टैंकर का प्रबंध किया गया है। सबके ऊपर फव्वारा से रंग बरस रहा है। रंग खेलने में ङ्क्षहदू के साथ हर जाति-धर्म के लोग शामिल हैं।

नष्ट होती हैं विकृतियां

विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष ज्योतिर्विद डॉ. बिपिन पांडेय बताते हैं कि होलिका दहन से निकलने वाली लौ व धुआं वातावरण में व्याप्त विकृतियों को नष्ट करके उसे पवित्र करते हैं। साथ ही इसे तापने एवं दूसरे दिन राख को माथे पर लगाने वाले मानव का मन-मस्तिष्क पवित्र होता है। हर व्यक्ति को 11, 21 या 51 बार होलिका की परिक्रमा करके उसमें पुष्प, नए अनाज डालकर उसकी राख को माथे पर लगाकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

भगवान नृसिंह के दरबार में बरसे फूल व अबीर-गुलाल

भगवान नृसिंह देव के दरबार में अबीर-गुलाल और फूल उड़े। आह्लादित नर, नारी व बच्चों ने एक-दूसरे पर पुष्पों की वर्षा करके होली की शुभकामना दी। होली के पूर्व भगवान नृसिंह पूजन की परंपरा विद्वान रचनाकार स्व. पं. देवीदत्त शुक्ल एवं पं. रमादत्त शुक्ल ने आरंभ कराई थी। बुधवार की शाम दारागंज स्थित नृसिंह मंदिर में पं. देवीदत्त शुक्ल-पं. रमादत्त शुक्ल शोध संस्थान ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाया। मकसद था मौजूदा पीढ़ी को धर्म व संस्कृति से जोडऩा। मंदिर के महंत स्वामी सुदर्शनाचार्य ने भगवान नृसिंह देव महात्म्य एवं मंदिर के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। राज्य महिला आयोग की सदस्य अनामिका चौधरी व भाजपा महानगर अध्यक्ष अवधेश गुप्त ने नृसिंह मंदिर में होली खेलने की परंपरा को कायम रखने के लिए देवीदत्त शुक्ल व रमादत्त शुक्ल को नमन किया।

रहें सतर्क, रंग कहीं खुशियां न कर दें भंग

रंगों के पर्व होली पर थोड़ा सतर्क होकर मस्ती करें, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपके ऊपर भारी पड़ सकती है। ऐसे में रंगों का प्रयोग थोड़ा सतर्क होकर करें। देखा जाए तो अधिकांश लोग रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें सबसे खतरनाक हरा रंग होता है। इसमें शीशे की मात्रा ज्यादा होती है। इसी तरह अन्य रंगों में लेड, मरकरी, आर्सेनिक जैसे (हैवी मेटल) रासायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं। रासायनिक रंग आंखों में पडऩे से रोशनी जाने का खतरा रहता है। त्वचा में रासायनिक रंग विपरीत प्रभाव डालते हैं।

रासायनिक रंगों से शरीर में होती है खुजली, पड़ते हैं चकत्ते

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. शक्ति बसु बताते हैं कि रासायनिक रंगों के लगने से त्वचा पर जलन होती है। चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों में खुजली होने लगती है। रंग लगने और धोने के बाद चकत्ते पड़ जाते हैं। साथ ही चेहरे पर दाने निकलने के साथ अपरस की संभावना बढ़ जाती है। जो आगे महीनों या सालों तक परेशानी का कारण बन जाते है। इसलिए रंग खेलने से पहले कोल्ड क्रीम या चिकनाई शरीर और चेहरे पर लगा लें। खुजली होने या चकत्ते पड़े तो तत्काल चिकित्सक से जांच कराएं। इसमें लापरवाही बरती तो रंगों के असर से पड़े दाग परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

आंखों का करें बचाव

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य एवं मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय के निदेशक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसपी सिंह बताते हैं कि रासायनिक रंगों का असर आंखों पर तेजी से होता है। होली खेलते समय आंखों में रंग न पड़े इसके प्रति सचेत रहना चाहिए। यदि रंग आंखों में पड़ जाए तो तुरंत ठंडे पानी से छींटे मारकर धोने के बाद चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

जारी रहेगी आपात सेवा

होली के मद्देनजर सरकारी अस्पतालों की आपातकालीन सेवा 24 घंटे जारी रहेगी। आम दिनों की तरह गुरुवार व शुक्रवार को भी स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में होली के दौरान चिकित्सकों की टीम तैनात रहेगी। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय व सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय में चिकित्सकों की टीम हर समय मौजूद रहेगी। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि इमरजेंसी सेवा 24 घंटे चलाने के लिए हर अस्पताल में छह-छह डॉक्टरों की टीम नियुक्त की गई है। वह अलग-अलग समय पर अपनी सेवाएं देंगे। वहीं तेजबहादुर सप्रू चिकित्सालय व मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय काल्विन में भी आपात सेवाएं हर समय तैनात रहेगी।

ट्रेन व बसों में सीट के लिए रही मारामारी

होली के चलते बुधवार को रेलवे स्टेशन व बस अड्डों में देर रात तक यात्रियों का कब्जा रहा। हर रूट की बसें व टे्रनें ठसाठस रहीं। अधिकतर ट्रेनों व बसों में पांव रखने तक की जगह नहीं रही। स्लीपर व एसी बोगी का हाल जरनल डिब्बे की तरह रहा। दिल्ली व मुंबई से आने वाली ट्रेनों का हाल सबसे ज्यादा खराब थी। सिविल लाइंस व जीरो रोड बस अड्डा पर यात्रियों की देर रात तक भीड़ रही। कौशांबी, प्रतापगढ़, जौनपुर, चित्रकूट, चित्रकूट व बांदा की ओर जाने वाली बसों में भीड़ काफी अधिक रही।

आजाद पार्क में उड़े अबीर-गुलाल

मार्निंग वाकर्स एसोसिएशन ने बुधवार को आजाद पार्क में होली खेली। किशोर वाष्र्णेय के नेतृत्व में सबने एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल उड़ाकर गले लगकर होली की बधाई दी। अध्यक्षता हरिकृष्ण चौरसिया व संयोजन बसंतलाल आजाद ने किया। संचालन जितेंद्र जायसवाल ने किया। इसमें अनूप गुरुजी, यशार्थ, सियाराम केसरवानी, राजेंद्र केसरवानी, दीपक अग्रवाल, शशि वाष्र्णेय, संदीप पटेल, रवींद्र, कृष्ण भगवान शामिल रहे।

गुलाल से खेली होली

अवाम सेवा समिति के अध्यक्ष मो. अबरार के नेतृत्व में रोशनबाग में गुलाल से होली खेली गई। ङ्क्षहदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर प्रेम व भाईचारा से साथ रहने का संकल्प लिया। इसमें ताज अहमद, उस्मान अहमद, सरदार मङ्क्षहद्र पाल सिंह, मंसूर अली, मो. गुरफान शामिल रहे।


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