Lok Sabha Election 2019 : ददिहाल में अपने दादा फिराेज गांधी को ही भूल गईं प्रियंका वाड्रा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा प्रयागराज में संगम तट से चुनावी बिगुल फूंका। अक्षयवट हनुमान मंदिर का दर्शन किया लेकिन अपने दादा फिरोज गांधी की कब्र पर नहीं पहुंचीं जो प्रयागराज में ही है।
ज्ञानेंद्र सिंह, प्रयागराज : बड़े हनुमान मंदिर और किला स्थित पौराणिक अक्षयवट मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद संगम तट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार का बिगुल फूंका। इस दौरान उन्होंने ददिहाल में रविवार को रात तो बिताई मगर अपने दादा फिरोज गांधी का ही उन्हें ख्याल नहीं आया।
भाजपाई चुटकी लेने से नहीं चूक रहे
सोमवार को गंगा में दुग्धाभिषेक, विधि-विधान से पूजा करने वाली प्रियंका शहर के ममफोर्डगंज स्थित पारसी कब्रिस्तान में बनी फिरोज जहांगीर गांधी की कब्रगाह पर फूल चढ़ाने नहीं जा सकीं। इसको लेकर भाजपाई चुटकी लेने से नहीं चूक रहे हैं। काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र कहते हैं कि प्रियंका का गंगा प्रेम आडंबर है। जिन्हें अपने पुरखों का सम्मान करना नहीं आता, वो आमजन का क्या सम्मान करेंगी। मजार पर प्रियंका के न जाने से फिरोज गांधी की आत्मा को भी दुख पहुंचा होगा।
गंगा यात्रा के दौरान रास्ते में आने वाले धार्मिक स्थल पर सिर नवाया
सत्ता तक पहुंचने के लिए गंगा के घाटों, कछारी गांवों में खेतों की पगडंडियों से लेकर शहर की चौड़ी सड़कों तक नापने में लगीं प्रियंका वाड्रा पहली बार इतनी करीब से लोग के बीच पहुंच रही हैं। सारी कवायद अपनी अलग नई छवि बनाने और दिखाने की है। प्रयाग से काशी तक गंगा यात्रा के पहले और दूसरे दिन रास्ते में आने वाले हर धार्मिक स्थल पर सिर नवाया। मंदिर में तिलक से लेकर मजारों की चादरपोशी का मौका हाथ से नहीं गंवाया।
विरासत के हल से चुनावी फसल उगाने की जुगत
कांग्रेस अपने पुरखों की कुर्बानी और देश को आजाद कराने की कहानियों के जरिए नई पीढ़ी तक पहुंचने की जुगत में हमेशा से रही है। वहीं हर दर पर जाने वाली प्रियंका जब अपने पुरखों के घर विरासत के हल से चुनावी फसल उगाने के लिए पहुंचीं तो नाना और दादी के घर से चंद कदम दूर दादा फिरोज जहांगीर गांधी की मजार पर न तो फूल चढ़ाया और न ही चादर।
तय कार्यक्रम के मुताबिक जिला प्रशासन से अनुमति ली गई
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता किशोर वाष्र्णेय ने साफ कहा कि प्रियंका का जो कार्यक्रम तय था, उसी के मुताबिक जिला प्रशासन से अनुमति ली गई थी।
प्रियंका के आने की थी उम्मीद
शहर के मम्फोर्डगंज मुहल्ले में पारसी समाज के लोगों का कब्रिस्तान है। वहां फिरोज सुपुर्द-ए-खाक किए गए थे। प्रियंका के स्वराज भवन में रुकने के साथ यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह दादा की मजार पर जाएंगी। इसको लेकर वहां पर साफ-सफाई भी करा दी गई थी, पर ऐसा हुआ नहीं। कहा जाता है कि कभी पारसी लोगों की संख्या शहर में पांच से 10 हजार तक थी। अब लगभग 400 के करीब ही हैं। कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले बृजलाल ने बताया कि 15 साल पहले सोनिया गांधी और लगभग दस साल पहले राहुल गांधी यहां आए थे।