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शहर बना अनूठे वैवाहिक समारोह का गवाह

जासं, इलाहाबाद : सहालग के दिनों में शहर की सड़कें पहली बार अनोखी शादी की गवाह बनीं। बैंडबाजे के स

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Feb 2017 09:07 PM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 09:07 PM (IST)
शहर बना अनूठे वैवाहिक समारोह का गवाह
शहर बना अनूठे वैवाहिक समारोह का गवाह

जासं, इलाहाबाद : सहालग के दिनों में शहर की सड़कें पहली बार अनोखी शादी की गवाह बनीं। बैंडबाजे के साथ बरात दुल्हनें लेकर दूल्हे को ब्याहने पहुंचीं। घरवाले नाचते गाते चले तो प्रियतमा का इंतजार कर रहे दूल्हों का आंगन भी खुशियों से झूम उठा। वह भी एक नहीं बल्कि एक साथ 16 दुल्हनों की बरातें। मौका था राजर्षि टंडन सेवा केंद्र में हुए सामूहिक विवाह समारोह का। जहां रविवार की शाम दिव्यांग जोड़ों की सभी वैवाहिक रस्मों की अदायगी के बाद विदाई हुई।

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सागर एकेडमी के सामने से बरात निकली और बरातियों के साथ नाचते गाते घंटे भर में पूरी टीम मंडप में पहुंची। स्वराज विकलांग सेवा समिति ने बड़े ही धूमधाम से इस वैवाहिक कार्यक्रम का आयोजन किया। दोनों हाथ से दिव्यांग श्रीनारायण यादव ने इस आयोजन से अपना सपना ही पूरा नहीं किया, बल्कि शरीर में कोई न कोई अंगों के कमजोर होने से दुखी युवक युवतियों के जीवन में खुशियां भी भर दीं। जजों, अफसरों, कर्मचारियों, वकीलों और व्यापारियों की मदद से यह भव्य आयोजन हो सका। इस विवाह की शर्ते है यह थीं कि शादी के बंधन में बंधने वाले में कोई एक या दोनों दिव्यांग हों या फिर जोड़े किसी दिव्यांग के बेटा-बेटी हो। दो दिनों से हो रहे इस आयोजन का रविवार को विधिवत समापन हुआ। वर वधुओं को सभी घरेलू सामान भी उपहार में दिए गए। शनिवार को ही सभी जोड़े अपने परिवार के साथ राजर्षि टंडन सेवा केंद्र परिसर में आ गए थे। शाम को हल्दी की रश्म हुई और अगले दिन शादी। सुबह से ही शादी की औपचारिकता शुरू हो गई। दोपहर को धूमधाम से बरात निकाली गई और फिर चार मंडप में एक साथ शादी हुई। मंत्रोचार के साथ सभी ने अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लिये और शाम को विदाई हुई। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन यश भारती से सम्मानित इमरान प्रतापगढ़ी ने किया।

10 साल पहले की थी शुरुआत

दोनों हाथों से दिव्यांग श्रीनारायण यादव ने 10 साल पहले दिव्यांगो के सामूहिक विवाह की शुरुआत की। इसके जरिए समाज से उपेक्षित दिव्यांगो घर बसने लगा तो सामूहिक विवाह का कारवां चल पड़ा। रविवार को आयोजन पूरा होने पर उन्होंने काफी खुशी जाहिर की।

दहेज में दी गई सिलाई मशीन

सभी नवजोड़ों को उपहार स्वरूप घरेलू सामान बराबरी से दिए गए। स्वरोजगार के लिए सभी को सिलाई मशीन जरूर दी गई। आयोजक ने बताया कि दूल्हे या दूल्हन के परिवार से कोई मदद नहीं ली जाती हैं। अगर कोई आर्थिक मदद देना भी चाहता है, उसे सभी जोड़ों को एक बराबर सामान देना पड़ता है।

10 दिव्यांगों को दी चलित दुकान

सामूहिक विवाह के दौरान 10 दिव्यांगों को चलित दुकान भी गई। इससे उनकी रोजी रोटी चल सकेगी। इसमें शिव कुमार, अमृत लाल हरिजन, विजय कुमार, अंसार अहमद, शिव कुमार यादव, संजय कुमार, संतोष कुमार, राजू टिन, ज्ञानचंद, विजय कुमार पांडेय है। दुकान पाकर इनके चेहरे खिल उठे।

आयोजन के सहयोगी

आयोजन के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह रहे। लोक सेवक मंडल के अध्यक्ष प्यारे लाल यादव, उपाध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा, रेलवे के सीनियर डीसीएम बृजेश मिश्र, अधिवक्ता आरके राजू, बीके मित्तल, एमएनएनआइटी के प्रोफेसर आरपी तिवारी, रवि शंकर मिश्रा, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुभाष राठी, मधु, असिस्टेन्ट कमिश्नर वाणिज्य कर जय प्रकाश शुक्ला, लेखाधिकारी अजीत विक्रम सिंह, नगर निगम के विधि सलाहकार शिवलखन यादव, अजीत सिंह, मनोज पाण्डेय, अभिषेक चौहान एडवोकेट, कुलदीप यादव, यमुनोत्री गुप्ता, मधु गुप्ता, रीता अजमानी, कुसुम मिश्रा, सीमा, विनोद अरोड़ा, राशि पोद्दार, अनुराधा, रिनी येसु, मधु, रश्मि पोद्दार, शिव सेवक सिंह, कमलेश दादा, आनन्द घिड़ियाल, चन्द्रभूषण, उमेशचन्द्र अच्चू, डा. यशवन्त, आशीष एडवोकेट, बृजनन्दन, विजय शकर शर्मा आदि थे।

दिव्यांगों के लिए कर गुजरने पर हुए सम्मानित

1. विकलागजन विकास विभाग के संयुक्त निदेशक अखिलेन्द्र कुमार।

2. डा. संजय श्रीकान्त जैन, पूणे महाराष्ट्र दृष्टिबाधित होते हुए दृष्टिबाधिता को चुनौती अवसर में बदल दिया।

3. ग्रुप कैप्टन एससी बाहरी, वायुसेना में कार्य करते हुए कर्मियों के विकलाग बच्चों हेतु एक विशेष विद्यालय की स्थापना की।

4. डा. संजय कुमार 'सत्यार्थी' दमन में पोलियोग्रस्त होते हुए एमफिल पीएचडी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में नित नयी उपलब्धियों का कीर्तिमान रचा।

5. डा. विनय कुमार इलाहाबाद चिकित्सा एवं संस्था सहयोग के लिए

6. कपिल आहूजा पंजाब, प्राकृतिक चपेट में दोनों आंख की रोशनी गंवाने के बाद नयी टेक्नोलॉजी में रुचि के कारण कम्प्यूटर में डिप्लोमा हासिल किया। दृष्टिबाधित होते हुए भी विकलागों के लिए पुनर्वास के लिए अच्छा कार्य किया।

7. संध्या धर जम्मू काश्मीर, वाल्यावस्था में ही सेलेब्रल पालिसी से ग्रसित होने के बाद भी बिजली विभाग एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं।


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