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न्यायाधीश के दुर्व्यवहार से खफा बार एसोसिएशन ने की तबादले की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक न्यायाधीश के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करते हुए न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 08:10 PM (IST)
न्यायाधीश के दुर्व्यवहार से खफा बार एसोसिएशन ने की तबादले की मांग
न्यायाधीश के दुर्व्यवहार से खफा बार एसोसिएशन ने की तबादले की मांग

इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक न्यायाधीश के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। हाईकोर्ट के गेट संख्या तीन पर आम सभा की जिसमें कहा गया कि 24 जुलाई को भी न्यायिक कार्य का बहिष्कार करेंगे और अधिवक्ताओं के साथ दुव्र्यवहार करने वाले न्यायाधीश का दूसरे राज्य में तबादला होने तक आंदोलन चलेगा। अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते हाईकोर्ट में शुक्रवार को मुकदमों की सुनवाई बाधित हुई।

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आम सभा की अध्यक्षता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने की। संचालन महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय ने किया। अधिवक्ताओं ने मांग किया कि वकीलों से दुव्र्यवहार करने वाले न्यायाधीश का दूसरे राज्य में तबादला किया जाए। जब तक उनका तबादला नहीं किया जाता तब तक अधिवक्ता न्यायिक कार्य नहीं करेंगे। बार एसोसिएशन ने उन अधिवक्ताओं के खिलाफ भी कार्यवाही करने का फैसला लिया है जिन्होंने बार एसोसिएशन के न्यायिक कार्य से विरत रहने के फैसले के विरुद्ध अदालतों में बहस की। 

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आम सभा की बैठक में कई प्रस्ताव पास किए गए। जिसमें 24 जुलाई को न्यायिक कार्य से विरत रहने के अलावा प्रदर्शन भी किए जाने का निर्णय लिया। बार एसोसिएशन ने स्क्रीनिंग कमेटी गठित की है जिसमें सभी पूर्व अध्यक्ष और पूर्व महासचिव शामिल होंगे। यह कमेटी वर्तमान स्थितियों पर विचार करते हुए आवश्यक कदम उठाएगी। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ही कमेटी के अध्यक्ष होंगे और संयोजक महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय होंगे। सचिव को कमेटी की बैठक बुलाने का अधिकार दिया गया है। पदाधिकारियों ने कहा कि संबंधित न्यायाधीश ने न्यायकक्ष का सुरक्षा बलों की मदद से दरवाजा बंद कर लिया और न्यायिक आदेश पारित किए हैं, आम सभा ने इसकी आलोचना की।

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बार ने ऐसा निर्णय इसलिए लिया है जिससे कि दूसरे न्यायाधीश इस तरह का आचरण न करें। आम सभा ने न्यायाधीश के इस आचरण को एसोसिएशन का अपमान माना है। पारित प्रस्ताव को भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया जिससे कि वे अधिवक्ताओं की सुरक्षा के कदम उठा सकें। प्रस्ताव की प्रति अवध बार एसोसिएशन लखनऊ के अध्यक्ष व सचिव को भी भेजकर उनसे सहयोग मांगा है।


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