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अर्द्धकुंभ तैयारी की मॉनीटरिंग हाईकोर्ट खुद करेगा,यमुना प्रदूषण की जांच होगी

अर्द्धकुंभ मेले के कार्यों की मॉनीटरिंग इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद करेगा। मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले व यशवंत वर्मा की पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 13 Sep 2017 09:07 PM (IST)Updated: Wed, 13 Sep 2017 10:19 PM (IST)
अर्द्धकुंभ तैयारी की मॉनीटरिंग हाईकोर्ट खुद करेगा,यमुना प्रदूषण की जांच होगी
अर्द्धकुंभ तैयारी की मॉनीटरिंग हाईकोर्ट खुद करेगा,यमुना प्रदूषण की जांच होगी

इलाहाबाद (जेएनएन)। अर्द्धकुंभ मेले के कार्यों की मॉनीटरिंग इलाहाबाद हाईकोर्ट खुद करेगा। मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने यह फैसला श्रीकांत त्रिपाठी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री ने करोड़ों रुपये का बजट अवमुक्त कर अर्द्धकुंभ मेला के सभी कार्यों की आधारशिला रख दी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह जनहित याचिका की अगली सुनवाई पर यह देखेगी की छह सप्ताह में मेले की तैयारी के संबंध में कितना काम हुआ। कोर्ट ने कहा है कि याची भी अगली तारीख पर अर्द्धकुंभ मेले की सही तैयारियां व इसके सकुशल सम्पन्न होने को लेकर अपनी राय दे सकता है।

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जल्दी-जल्दी काम कर खानापूर्ति

याची के अधिवक्ता एके पांडेय व रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि अर्द्धकुंभ मेला अगले वर्ष होना है। सरकार ने इसके लिए करोड़ों का बजट आवंटित किया है, लेकिन अभी तक मौके पर कोई भी काम शुरू नहीं हो सका है। प्रशासन ऐन मौके पर जल्दी-जल्दी काम कर खानापूर्ति करना चाहता है। प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एके सिंह व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह ने हलफनामा देकर कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री ने सभी विभागों के कार्यों की आधारशिला रख दी है। काम भी शुरू हो गया है और इसे हर हाल में मेले से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि छह सप्ताह पर किए गए कार्यों की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें। याचिका पर कोर्ट 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।

यमुना प्रदूषण की जांच का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में यमुना नदी में प्रदूषण पर याची व जिलाधिकारी के हलफनामे में विरोधाभाषी दावे पर निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए न्यायिक जांच का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने जिला जज मथुरा को आदेश दिया है कि वह किसी एडीजे को यमुना में मिल रहे नालों के पानी का नमूना लेने व फोटोग्राफ लेकर रिपोर्ट पेश करने के लिए भेजें। साथ ही नदी में प्रदूषण की रिपोर्ट 20 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने श्री यमुना सेवा संस्थान मथुरा की जनहित याचिका पर दिया है।

यमुना नदी अत्यंत प्रदूषित 

कोर्ट ने न्यायिक जांच करने वाले अधिकारी से कहा है कि वह मौके पर जाकर मथुरा, हाथरस को जोडऩे वाले पुल के पास मसानी नाले का यमुना का मुहाना, बंगाली घाट व जो भी अन्य नाले यमुना गिर रहे हैं उनके मुहाने की फोटोग्राफ और पानी का नमूना एकत्र करें। साथ ही श्मशान घाट और विसर्जन घाट के भी पानी का नमूना भी लिया जाए। याची के अधिवक्ता वीके अग्रवाल का कहना है कि सीवर के गंदे पानी के ट्रीटमेंट की एसटीपी की क्षमता ही नहीं है और नाले सीधे यमुना में गिराये जाने से नदी अत्यंत प्रदूषित हो गई हैं। कोर्ट ने जिलाधिकारी मथुरा से मौका मुआयना कर फोटोग्राफ सहित हलफनामा मांगा था। डीएम ने हलफनामे में बताया कि गंदा नाला, यमुना में जल शोधन के बाद ही गिर रहा है। इस विरोधाभाषी हलफनामे पर कोर्ट ने कहा कि एक निष्पक्ष एजेंसी की जांच रिपोर्ट आनी जरूरी है। 


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