इविवि में एसी में रहेंगे 'चूहे राजा'
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अब चूहे गर्मी नहीं खाएंगे। उनके लिए भी एयरकंडीशन रूम बने
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अब चूहे गर्मी नहीं खाएंगे। उनके लिए भी एयरकंडीशन रूम बनेगा। सोने, खाने का विशेष प्रबंध होगा। विश्वविद्यालय के बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट में भी 'एनिमल हाउस' बनाया जाएगा, जिसमें प्रयोग के लिए चूहे, खरगोश आदि जानवर रखे जाएंगे।
अभी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में एनिमल हाउस है। बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंर्ट में भी एनिमल हाउस बनाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी। विगत दिनों बयोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट की लैब का उद्घाटन करने आए कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू का एनिमल हाउस न होने से शोध में आने वाली परेशानियों की तरफ ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने इसकी सहमति दे दी।
दरअसल, दवाओं का प्रयोग चूहों पर ही किया जाता है। जिन चूहों पर प्रयोग किया जाता है उनको 26 डिग्री तापमान पर रखा जाना चाहिए। उनके लिए रहने की अलग व्यवस्था होनी चाहिए। कमरे में एयरकंडीशन लगा हुआ होना चाहिए। इससे चूहों के लिए आदर्श तापमान 26 डिग्री मेनटेन रखता है। शोधार्थियों ने बताया कि जिस चूहे पर प्रयोग किया जाता है उसकी दामाद की तरह सेवा की जाती है। एनिमल हाउस न होने से चूहे इस समय 46 डिग्री तापमान पर रहते हैं। ऐसे में उनपर किए गए शोध के परिणाम सही नहीं आते।
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यूं होता है प्रयोग
मान लीजिए यह पता लगाना हो कि ट्यूबरकुलोसिस की दवा का चूहे पर क्या असर होगा तो उसे दवा दी जाती है। इसके बाद देखा जाता है कि उस दवा का चूहे के लीवर, किडनी, दिल आदि पर क्या असर हो रहा है। इसके बाद उसे प्रिवेंटिव दवाएं भी दी जाती हैं। देखा जाता है कि दवाओं का चूहे पर कितना असर हो रहा है। ऐसे ही मानलीजिए चूहे पर डायबिटीज की दवा का असर देखना है तो उसे ऐसा इंजेक्शन दिया जाता है जिससे उसे डायबिटीज हो जाती है। इसके बाद प्रिवेंटिव दवा दी जाती है।