आइएजी कांफ्रेंस की अगुवाई करेगा इविवि
जासं, इलाहाबाद : ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबलवार्मिग, बाढ़, जमीन से खत्म होती उर्वरक शक्ति, रसायनिक
जासं, इलाहाबाद : ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्लोबलवार्मिग, बाढ़, जमीन से खत्म होती उर्वरक शक्ति, रसायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग, रसातल में जाते पानी व प्रदूषण जैसी ज्वलंत समस्याओं से पूरा विश्व जूझ रहा है। इस पर मंथन के लिए नवंबर में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में देश-दुनिया के भू-वैज्ञानिक एकत्र हो रहे हैं। अवसर है नौवीं इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोमार्फोलॉजिस्ट्स (आइएजी) व इंडियन जियोमार्फोलॉजिस्ट्स इंस्टीट्यूट (आइजीआइ) के संयुक्त तत्वावधान में 'भू-आकृति विज्ञान व समाज' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का। खास बात यह है कि इस सेमिनार की अगुवाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय कर रहा है। इसमें अबतक देश-विदेश के 800 से अधिक भू-वैज्ञानिकों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इस बैठक के निष्कर्षो को यूएनओ और यूनेस्को के साथ ही संबंधित देशों की सरकारों को भेजा जाएगा। इन निष्कर्षो के आधार पर भविष्य की नीतियां तय होंगी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1987 में इंडियन जियोमार्फोलॉजिस्ट इंस्टीट्यूट (आइजीआइ) की स्थापना प्रो. सवींद्र सिंह की अगुवाई में हुई थी। वर्तमान में वे आइजीआइ के अध्यक्ष हैं। महासचिव प्रो. एआर सिद्दीकी ने बताया कि आइजीआइ की पहली कांफ्रेंस 1988 में आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर में हुई थी। तब से हर साल देश के किसी विश्वविद्यालय में आइजीआइ की कांफ्रेंस होती है, जबकि आइएजी की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस प्रत्येक चार साल पर होती है। पिछली कांफ्रेंस 2013 में पेरिस में आयोजित की गई थी। 6 से 11 नवंबर 2017 के बीच होने वाली कांफ्रेंस की थीम भू-आकृति विज्ञान और समाज रखा गया है। इसमें देश-दुनिया से 1200 भू-वैज्ञानिकों आएंगे। आइएजी के अध्यक्ष पेरिस सबॉर्न यूनिवर्सिटी के कुलपति के प्रो. एरिक फाउश हैं। भारत की ओर से प्रो. सवींद्र सिंह व प्रो. एआर सिद्दीकी अगुवाई करेंगे। कांफ्रेंस के पहले और बाद में देश के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों की शैक्षिक यात्राएं भी होंगी।