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जमीन पर पड़े हैं, दया करो डॉक्टर साहब

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : एसआरएन अस्पताल में अव्यवस्था किस कदर हावी है, इसकी एक नहीं कई बानगी शुक्

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:01 AM (IST)
जमीन पर पड़े हैं, दया करो डॉक्टर साहब
जमीन पर पड़े हैं, दया करो डॉक्टर साहब

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : एसआरएन अस्पताल में अव्यवस्था किस कदर हावी है, इसकी एक नहीं कई बानगी शुक्रवार को नजर आई। चिकित्सकों ने गंभीर मरीजों को भी भर्ती नहीं किया। बहाना बेड नहीं। कई मरीज जमीन पर ही लेटे रहे, इस इंतजार में कि शायद 'भगवान' तरस खा जाएं। ऐसा हुआ नहीं, मजबूरी में तीमारदार उन्हें निजी चिकित्सालय लेकर चले गए।

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मिर्जापुर के जिगना निवासी लकवा पीड़ित राजमणि यादव को परिजन एसआरएन लेकर पहुंचे थे। इस आस में कि यहां उन्हें कई सहूलियतें मिलेगी। बड़े अस्पताल में उनका पूरा ख्याल रखा जाएगा। यहां आने के बाद जब उनका असलियत से सामना हुआ तो फिर कलेजा मुंह को आ गया। यहां चिकित्सकों ने भर्ती करने से इन्कार कर दिया। बोले, बेड खाली नहीं है। परिजनों ने राजमणि को वहीं जमीन पर लिटा दिया, सोचा कि शायद डॉक्टरों को तरस आ जाए। घंटों यहां बिताने के बाद भी जब किसी ने उनकी तरफ नहीं देखा तो फिर मरीज को लेकर निजी चिकित्सालय चले गए। एसआरएन आने वाले मरीजों के साथ यह बर्ताव कोई एक दिन नहीं, बल्कि रोज देखने को मिलती है। डायरिया से पीड़ित करेली निवासी मो. युसूफ की भी व्यथा कुछ ऐसी ही है। वह 20 जून को स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय इलाज कराने पहुंचे। स्थिति गंभीर थी, तो उन्होंने भर्ती होना चाहा, परंतु प्राइवेट वार्ड खाली न होने पर वह निजी चिकित्सालय चले गए। इसी प्रकार डायरिया पीड़ित हंडिया के कामरान बुखार, मेजा की सुलेखा व अतरसुइया के विनय 22 जून को इलाज के लिए गंभीर अवस्था में एसआरएन अस्पताल आए, परंतु बेड खाली न होने पर उन्हें लौटना पड़ा।

मरीजों की संख्या के आगे व्यवस्था पड़ी बौनी

स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में यह दिक्कत आम है। यहां डायरिया, इंफेक्शन व बुखार पीड़ित मरीजों की संख्या दिन-रात बढ़ रही है। इससे वहां की व्यवस्था बौनी साबित हो रही है। दवाओं का टोटा है। मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है।

रोज करीब पांच हजार मरीज आते हैं दिखाने

एसआरएन अस्पताल में प्रतिदिन 3500 से पांच हजार मरीजों की भीड़ ओपीडी में जुटती है, जिसमें 250 से पांच सौ के लगभग मरीज प्रतिदिन भर्ती होते हैं। जबकि बेडों की संख्या मात्र 936 है। इसमें छह सौ सामान्य श्रेणी के हैं। सात प्राइवेट व सात वीआइपी वार्ड हैं।

अलग से नहीं बना कोई वार्ड

प्रतिदिन 50 से 70 के बीच डायरिया से पीड़ित आ रहे हैं, लेकिन उसके लिए अलग से कोई वार्ड नहीं बना। शुक्रवार को 61 मरीज डायरिया से पीड़ित आए। इनमें से सोनम, अनामिका, नीरज, भोंदू, बृजेंद्र, विक्रम, अखिलेश, महेंदर, विक्रम भर्ती हुए।

अलग-अलग वार्डो में 120 मरीज भर्ती

अलग-अलग वार्डो में सप्ताहभर में डायरिया व बुखार से पीड़ित 120 मरीज भर्ती हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने से उनका ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि अस्पताल के सारे वार्ड फुल हैं। मरीजों की स्थिति में सुधार न होने से अधिकतर अस्पताल में ही पड़े हैं। दिनभर में दो से पांच मरीज निजी चिकित्सालय चले जाते हैं।

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वर्जन

हर मरीज को अस्पताल में बेड मिल रहा है। ऐसा कोई नही है, जिसे बाहर किया जाता हो। अगर ऐसा हुआ है तो मैं पता लगाकर कड़ी कार्रवाई करूंगा। ऐसी लापरवाही किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी।

डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज


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