इविवि में फीस वृद्धि वापस
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय फीस वृद्धि के मुद्दे पर बैकफुट पर आ गया है। अब फीस नहीं बढ़े
जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय फीस वृद्धि के मुद्दे पर बैकफुट पर आ गया है। अब फीस नहीं बढ़ेगी। छात्रनेता इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने स्नातक, परास्नातक और शोध पाठ्यक्रमों की फीस में लगभग तीन गुना वृद्धि का निर्णय लिया था। यह निर्णय एकेडमिक काउंसिल की विगत माह हुई बैठक में लिया गया था। सबसे ज्यादा वृद्धि ट्यूशन व परीक्षा शुल्क के मद में की गई थी। विधि विभाग में मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे विवि के सभी अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यो की एक बैठक कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू की अध्यक्षता में हुई। इसमें फीस वृद्धि के प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया गया। फीस वृद्धि के फैसले के विरोध में छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।
खर्च का 30 फीसद विश्वविद्यालय खुद निकाले
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लंबे समय से कोई फीस वृद्धि नहीं की गई थी। नतीजतन विश्वविद्यालय अपने खर्चो के लिए भी यूजीसी ग्राट पर निर्भर था। बिजली, भवन कर आदि मद में होने वाले खर्चो को लेकर विश्वविद्यालय पर लगातार दबाव था। यूजीसी की भी मंशा है कि खर्च का 30 फीसद हर विश्वविद्यालय खुद निकाले। इसकी कड़ी में विश्वविद्यालय ने फीस बढ़ाने का निर्णय लिया था। लिहाजा विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल और फिर एक्जक्यूटिव काउंसिल ने फीस वृद्धि के निर्णय पर मुहर लगा दी थी। 12 रुपये ट्यूशन बढ़ाकर अब 100 रुपये कर दी गई थी। परास्नातक पाठ्यक्रमों में 15 रुपये से 150 रुपये व शोध में 18 रुपये से 200 रुपये कर दी गई थी। इस तरह स्नातक के छात्र-छात्राओं को 924 की बजाय 2975 रुपये फीस देनी थी।