हर मुसलमान को जिंदगी में एक बार हज करना जरूरी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : रेजाए मुस्तफा खिदमते हुज्जाज सोसाइटी ने इस साल हज पर जाने वाले यात्रियों
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : रेजाए मुस्तफा खिदमते हुज्जाज सोसाइटी ने इस साल हज पर जाने वाले यात्रियों के लिए विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया। नूरउल्ला रोड स्थित शगुन गेस्ट हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम में हज में अदा होने वाले तमाम अरकान बताए गए। मौलाना मुजाहिद हुसैन रिजवी ने कहा कि सच्चे मुसलमान के लिए जैसे रोजा रखना, पांच वक्त की नमाज पढ़ना, जकात देना जरूरी है इसी तरह उम्र में कम से कम एक बार हज करना लाजमी है।
शाम चार बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हज पर जाने वालें आजमीनों ने भाग लिया। मौलाना मुजाहिद हसैन ने बताया कि हज यात्रा वास्तव में पक्का इरादा यानि कि संकल्प करके 'काबा' की जियारत यानी दर्शन करने और उन इबादतों को एक विशेष तरीके से अदा करने को कहा जाता है। इनके बारे में किताबों में बताया गया है। हज के लिए विशेष लिबास पहना जाता है, जिसे एहराम कहते हैं। इस दरवेशाना लिबास को धारण करते ही तमाम इंसान बराबर हो जाते हैं और हर तरह की ऊंच-नीच खत्म हो जाती है। पूरी हज यात्रा के दरमियान हज यात्रियों की जबान पर 'हाजिर हू अल्लाह, मैं हाजिर हू। हाजिर हू'। तेरा कोई शरीक नहीं, हाजिर हू। तमाम तारीफ अल्लाह ही के लिए है और दुनिया में अता की गयी सारी नेमतें भी तेरी हैं। तू एक है और तेरा कोई शरीक नहीं है..जैसे अल्फाज गूंजते रहते हैं। इस पूरी यात्रा के दौरान हर पल हज यात्रियों को यह बात याद रहती है कि वह कायनात के सृष्टा, उस दयालु-करीम के समक्ष हाजिर है। दुनिया के प्रत्येक देश से मक्का जाने वालों के लिए मक्का से कुछ मील पहले एक सीमा तय की गई है, जिसे मीकात कहते हैं। दुनिया के तमाम हाजी एहराम बांधकर ही इस सीमा में दाखिल होते हैं। आयोजन स्थल पर मगरिब की नमाज के वक्त इज्तेमाई इफ्तार का आयोजन किया गया।