कायस्थ पाठशाला ने दिया था विद्यार्थी जी को पत्रकारिक जुनून
विमल पांडेय, इलाहाबाद : विश्व प्रसिद्ध संगम की माटी में जनपद इलाहाबाद की पत्रकारिता पोषित होती रही ह
विमल पांडेय, इलाहाबाद : विश्व प्रसिद्ध संगम की माटी में जनपद इलाहाबाद की पत्रकारिता पोषित होती रही है। स्वाधीनता आंदोलन से लेकर वर्तमान परिवेश तक में यहां की पत्रकारिता ने क्रांतिधर्मी धमक दिखाई है। इसी जिले का एक स्थान कायस्थ पाठशाला है जहां कभी पत्रकारिता के पुरोधा अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपनी पत्रकारिता का सूत्रपात किया था।
30 मई 1826 को जब कोलकाता से उदंत मार्तड अखबार अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मो सितम से लड़ने के लिए निकला तो पूरे देश में कलम की एक धार दिखने लगी थी। एक शोर था पत्रकारिता में अभिव्यक्ति का। इसी अभिव्यक्ति को क्रांति के रूप में पैदा करने का काम पत्रकारिता के पुरोधा गणेश शंकर विद्यार्थी ने किया था। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान पत्र पत्रिकाओं में विद्यमान क्रांति की ज्वाला क्रांतिकारियों से कम प्रखर नहीं थी। विद्यार्थी जी की चलाई गई इसी क्रांति ने प्रताप नामक पत्र से पूरे देश के कलमकारों को एक नई ऊर्जा दी थी । मूलत: फतेहपुर जनपद के हथगाम कस्बे में जन्मे विद्यार्थी जी की अतीत की बहुत सारी यादें जनपद इलाहाबाद से जुड़ीं हैं। कहीं न कहीं पत्रकारिता का वह बीज उन्हें इलाहाबाद से ही मिला। इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला से ही विद्यार्थी जी का पत्रकारिक झुकाव हुआ था।
इलाहाबाद में अंग्रेजी राज के नामचीन लेखक पंडित सुंदर लाल के साप्ताहिक अखबार कर्मयोगी से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले विद्यार्थी जी इलाहाबाद के अखबार अभ्युदय में सहायक संपादक रहे। हालांकि यहां वह ज्यादा दिनों तक नहीं रहे और जब इलाहाबाद रास न आया तो वह कानपुर पहुंच गए। बाद में कानपुर को ही उन्होंने अपनी कर्मस्थली बना लिया। अंग्रेजी हुकूमत को अपने पत्र प्रताप के माध्यम से जो बिगुल उन्होंने उन दिनों दिया था वह आज का सुनहरा इतिहास बन चुका है। सन 1921 से 1931 तक पांच बार जेल जाने वाले विद्यार्थी जी आज भी नवीन पत्रकारिता के प्रेरक हैं। उनकी प्रेरणा नवीन युग में परिवर्तन की नई बयार देती है।