'अनफिट' एसी डिब्बों से यात्रियों का छूट रहा पसीना
जासं, इलाहाबाद : रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा करता है। गर्मी बढ़ने के साथ ही ट्रेन
जासं, इलाहाबाद : रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा करता है। गर्मी बढ़ने के साथ ही ट्रेन में एसी खराब होने और कूलिंग कम होने की समस्या आम हो गई। रेलवे कर्मचारी जल्दबाजी में 'अनफिट' एसी वाले डिब्बे ट्रेन से हटा नहीं रहे हैं, जिसका खामियाजा यात्रियों को घंटे भीषण गर्मी झेल कर चुकाना पड़ रहा है। पिछले कई दिन से एसी खराब होने पर स्टेशनों पर यात्री जमकर हंगामा काट चुके हैं।
ट्रेन में डिब्बे लगने से पहले जांच की जाती है कि एसी ठीक से चल रहा है या नहीं। कूलिंग तो कम नहीं है। इलेक्ट्रिक की सभी चीजें दुरुस्त हैं। इसके बाद ही ट्रेन को ओके किया जाता है, लेकिन रेलवे इस समय यात्रियों से खिलवाड़ कर रहा है। इसके ताजा कई उदाहरण इलाहाबाद जंक्शन और प्रयाग स्टेशन पर मिल चुके हैं। इलाहाबाद जंक्शन पर पिछले दिनों चौरा चौरी एक्सप्रेस, पटना-सिकंदराबाद एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों में एसी खराब होने पर यात्रियों ने जमकर हंगामा किया था। गोरखपुर-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों में कूलिंग कम होने पर देर से चल रही ट्रेनें को ठीक करने में ट्रेन और लेट हो रही हैं। प्रयाग स्टेशन से चलनी वाली नौचंदी एक्सप्रेस में एसी खरा होने पर भी यात्रियों ने हंगामा काटा। इलाहाबाद जंक्शन पर प्रत्येक दूसरे दिन एसी खराब होने पर हंगामा हो रहा है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता है, जब ट्रेन में कूलिंग कम होने के चक्कर में ट्रेन लेट न हो।
-----
डेढ़ से दो घंटे झेल जाते हैं यात्री
दिल्ली, पटना और अन्य बड़े स्टेशनों से आने वाली ट्रेनों में अगर एसी खराब होता है। भीषण गर्मी से झुलसे यात्री अगर शिकायत करके रेलवे की नाक में दम करते देते हैं तो ज्यादा ट्रेनों का एसी इलाहाबाद में आकर ही बन पाता है। यात्री घंटों भीषण गर्मी में परेशान हो चुके होते हैं। एसी में बैठे बच्चों से लेकर बड़ों की हालत खराब हो जाती है। स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने के बाद उसे ठीक करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है। इसके लिए ट्रेन लेट हो जाती है। अगर लेट पहले से लेट चल रही तो वह कब गंतव्य पर पहुंचेगी। इसका भरोसा नहीं रहता है। कूलिंग को बढ़ाने के लिए लगभग एक घंटा लग जाता है। इससे भीषण गर्मी में यात्री बेहाल हो जाते हैं।
----
अधिकांश यात्री नहीं लेते रिफंड
अगर ट्रेन में एसी ठीक होने की स्थित में नहीं होता है तो उस डिब्बे को नॉन एसी घोषित कर दिया जाता है। इस दशा में यात्री से केवल स्लीपर का चार्ज लिया जाता है। उसे बाकी पैसों के लिए रसीद काटकर दे दी जाती है, जिसका भुगतान यात्री को उस स्टेशन पर मिलता है, जहां ट्रेन छोड़नी होती है। यात्री इस झंझट से बेचने की कोशिश करते हैं। रेलवे की भी मंशा नहीं होती है कि यात्रियों को पैसा रिफंड किया जाए। जो यात्री जागरूक होते हैं। वही इसका लाभ ले पाते हैं। इलाहाबाद मंडल के पीआरओ सुनील गुप्ता का कहना है कि ट्रेन में एसी से लेकर सभी अन्य सभी चीजों की जांच के उपरांत ही ट्रेन को रवाना किया जाता है। अगर खराब एसी वाले डिब्बे को ट्रेन से हटाया नहीं जाता है तो यह रेलवे कर्मचारियों की घोर लापरवाही है। रेलवे की प्राथमिकता है कि यात्रियों को बेहतर सुविधा मिले। इसके हरसंभव प्रयास किए जाते हैं।