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'आशीष' से गांव हो रहे कैशलेस

जासं, इलाहाबाद : सरकारी नौकरी के साथ ही अतिरिक्त समय निकालकर समाज सेवा, वह भी ऐसी जिससे देश के प्

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 01:00 AM (IST)
'आशीष' से गांव हो रहे कैशलेस
'आशीष' से गांव हो रहे कैशलेस

जासं, इलाहाबाद : सरकारी नौकरी के साथ ही अतिरिक्त समय निकालकर समाज सेवा, वह भी ऐसी जिससे देश के प्रधानमंत्री की मंशा सीधे जुड़ी हो, यानि खरीदारी व्यवस्था कैशलेस बनाने की। जी हां, उत्तर प्रदेश बड़ौदा ग्रामीण बैंक सरांय इनायत शाखा के मैनेजर आशीष राय ने कुछ इसी मिशन की शुरुआत नोटबंदी के बाद शुरू की। आशीष ने भागीपुर और कटियारी चकिया गांव को गोद लेकर एक मुहिम छेड़ दी। उनकी मेहनत रंग लाई। आज भागीपुर गांव के 575 लोगों ने एटीएम कार्ड ले लिया है। संभवत: जिले का यह पहला गांव है जो कैशलेस सिस्टम को लगभग अपना चुका है। कटियारी चकिया में अभी यह संख्या 147 तक पहुंची है।

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आशीष राय ने सबसे पहले गांव की महिलाओं को जागरूक करने का सिलसिला शुरू किया। यह देख गांव के युवा भी आगे आए। फिर तो ग्रामीणों में कैशलेस सिस्टम को जानने की होड़ सी लग गई। नतीजा, दोनों गावों के लोग अब कैशलेस सिस्टम अपना चुके हैं। आशीष की इस उपलब्धि को लेकर विभागीय अधिकारियों ने उनका सम्मान भी किया है। आशीष का कहना है कि सरकारी सेवा में रहते हुए भी समाज सेवा की जा सकती है। कहते हैं कि कार्यालय में रहकर विभाग की सेवा और उसके बाद समाज सेवा उनके मिशन में शामिल है।

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पानी व्यर्थ बहाने से रोकते हैं बच्चे

गर्मी आते ही आशीष राय ने जलसंरक्षण अभियान शुरू कर दिया है। इसमें गंगापार के प्राथमिक विद्यालयों को जोड़ा जा रहा है। आशीष स्कूलों में जाकर बच्चों को जल का महत्व बताते हैं। इस अभियान के तहत स्कूलों में पांच-पांच बच्चों की टोली बनाई गई है जो लोगों को पानी व्यर्थ बहाने से रोकती है, वह भी पांव छूकर या हाथ पकड़कर। बच्चे अपने बड़ों से भविष्य के लिए पानी बचाने की मांग करते हैं। आशीष राय के प्रयास से अब क्षेत्र के व्यापारी भी इस मिशन से जुड़ने लगे हैं।

हर साल तीन गरीब बच्चों की देते हैं फीस

बैंक मैनेजर आशीष राय शिक्षा को लेकर भी अभियान चलाते हैं। रविवार व अन्य छुट्टियों के दिन वह मलिन बस्तियों में सपरिवार जाकर वहां के बच्चों को पढ़ाते हैं। उनके लिए कापी किताब व अन्य चीजों की व्यवस्था भी करते हैं। इतना ही नहीं हर साल नवरात्र पर तीन गरीब बच्चों की पूरी साल की फीस भी जमा करते हैं।


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