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लोहिया के दर्शन में तुलसी और गांधी का प्रभाव : नाईक

जासं, इलाहाबाद : डॉ. राममनोहर लोहिया की जयंती से एक दिन पहले राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 01:00 AM (IST)
लोहिया के दर्शन में तुलसी और गांधी का प्रभाव : नाईक
लोहिया के दर्शन में तुलसी और गांधी का प्रभाव : नाईक

जासं, इलाहाबाद : डॉ. राममनोहर लोहिया की जयंती से एक दिन पहले राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय में 'डॉ. राम मनोहर लोहिया का दर्शन' विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि लोहिया के दर्शन में गांधी और तुलसीदास का प्रभाव साफ झलकता है।

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बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल ने आगे कहा कि वे चिंतक नहीं हैं, लेकिन अपने संस्मरण के आधार पर डॉ. लोहिया पर विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। कहा कि जिस कालखंड में साम्यवादी और पूंजीवादी विचारधारा का वर्चस्व था, उस समय डॉ. लोहिया ने आर्थिक विषयों का गहन अध्ययन कर समाजवाद को नई दिशा दी। उन्होंने गोरेगांव में अपनी युवावस्था के एक संस्मरण का जिक्र करते हुए बताया कि डॉ. लोहिया की कथनी और करनी एक जैसी थी। वे बेहद स्पष्टवादी थे। साथ ही सत्ता के विकेंद्रीकरण के हिमायती थे। चौखंभा दर्शन इसी सोच का परिणाम है। जिस पर मौजूदा समय में व्यवस्था चल भी रही है।

विशिष्ट अतिथि संविधान विशेषज्ञ एवं लोकसभा के पूर्व महासचिव पद्मभूषण डॉ. सुभाष कश्यप ने डॉ. लोहिया के संस्मरणों को सुनाते हुए उनके जीवन-दर्शन के अनेक पहलू उजागर किया। कहा कि डॉ. लोहिया छात्र जीवन से सजग और वैचारिक रूप से समृद्ध थे। वे गंभीर वातावरण को अपने सरल एवं सहज व्यवहार से खुशनुमा बना देते थे। वे रामचरितमानस को राजनीतिशास्त्र के रूप में देखते थे। कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि भारतीय दर्शन अनेक विद्वानों के विचारो से परिपूर्ण हैं। राममनोहर लोहिया का समाजवाद, समानता और वैचारिक क्रांति का दर्शन रहा है। वह समाज और व्यक्ति में सुधार चाहते थे। उनका सप्त क्रांति का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। कहा कि वह राष्ट्रीय ही नहीं वैश्रि्वक समाजवाद के हिमायती थे। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के चेयरमैन प्रो. एसआर भट्ट ने कहा कि वर्तमान में लोहिया के नवसमाजवाद को नए सिरे से समझने की जरूरत है। भारतीय विचारकों जैसे पं. दीन दयाल उपाध्याय और डॉ. लोहिया के दर्शन को वर्तमान समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में देखने और समाधान तलाशने की जरूरत है। आइसीपीआर के प्रो. गोपीनाथ पिल्लई ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। संयोजक डॉ. जीके द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. रामजी मिश्र एवं मारिषा ने किया।

इस मौके पर कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार पांडेय, राज्य विवि के कुलपति प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केबी पांडेय, प्रो. गिरिराज किशोर, प्रो. आनंद कुमार, प्रो. स्मिथ, डॉ. सुधीर सिंह, प्रो. महेश विक्रम सिंह, प्रो. कृष्ण गोपाल, प्रो. सुब्रत मुखर्जी, डॉ. प्रभाकर आदि उपस्थित रहे।

सपा सरकार के पतन पर हो चर्चा

इलाहाबाद : राज्यपाल रामनाईक ने संगोष्ठी में खुद को बतौर कुलाधिपति शामिल होने की बात कहते हुए अपने विचार रखे। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने संगोष्ठी में आए लोगों को यह सुझाव भी दिया कि हाल ही में प्रदेश में समाजवादी सरकार का पतन भी इस संगोष्ठी में चर्चा का विषय हो सकता है।

तिलक शास्त्रार्थ सभागार बने

इलाहाबाद : राज्यपाल ने मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति से कहा कि विश्वविद्यालय में ऐसी संगोष्ठियों के लिए एक सभागार होना चाहिए। लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार के नाम से यह सभागार बनना चाहिए।


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