कहां गई फाइल, बताएगा मोबाइल
प्रमोद यादव, इलाहाबाद : डिजिटल इंडिया का असर रेलवे विभाग में दिखने लगा है। यहां पर फाइलों की आनलाइन
प्रमोद यादव, इलाहाबाद : डिजिटल इंडिया का असर रेलवे विभाग में दिखने लगा है। यहां पर फाइलों की आनलाइन टै्रकिंग शुरू हो गई है। इससे काम में पारदर्शिता आई है और बाबूओं का मकड़जाल टूटा है। पहले चरण में रेलवे के मृतक कर्मचारियों के परिजनों को भुगतान से जुड़ी फाइलों की ट्रैफिक होने लगी है। आने वाले दिनों में सभी तरह फाइलों की ट्रैकिंग होगी।
करीब साल भर पहले उत्तर मध्य रेलवे के निवर्तमान जीएम अरुण सक्सेना से एक कर्मचारी की पत्नी मिली। उसने जीएम से अपना दुखड़ा रोया। बताया कि उसके पति की मौत हो चुकी है। अब यहां के बाबू उसके फंड, बीमा आदि का भुगतान नहीं कर रहे हैं और कई साल से चक्कर लगवा रहे हैं। उन्होंने महिला की समस्या का समाधान करा दिया। चूंकि यह मामला जीएम तक पहुंचा तो जल्द निपट गया लेकिन ऐसे ही कई मामलों में पीड़ित बाबुओं के चक्कर काट रहे थे। इस घटना के बाद जीएम ने ऐसी व्यवस्था बनवाई कि आगे किसी को बाबू के चक्कर न काटने पड़े। उन्होंने अपनी आईटी टीम से कहा कि ऐसा सिस्टम डेवलप करें कि कर्मचारियों के भुगतान में देरी न हो। कुछ माह के मशक्कत में इंजीनियरों ने फाइल ट्रैकिंग साफ्टवेयर डेवलप कर दिया। फिर उस पर काम शुरू हुआ तो ऐसे मामलों का निपटारा करने में महीने भर नहीं लगते हैं। आईटी के चीफ मैनेजर आशीष कुमार अग्रवाल ने बताया कि कर्मचारी की मौत होने के हफ्ते भर में उसकी रिपोर्ट आनलाइन फीड करना होता है। फिर वह ऑनलाइन ही संबंधित अधिकारियों के पास जाएगी। साथ में उसकी मैनुअल फाइल भी चलेगी। यह फाइल जहां-जहां जाएगी, उसका मैसेज लाभार्थी के मोबाइल पर मिलता रहेगा। फाइल स्वीकृत होने के बाद उसे मैसेज चला जाएगा और वह भुगतान पा सकेगा। उन्होंने बताया कि कोई बाबू फाइल को एक सप्ताह से अधिक नहीं रोक सकता है। पिछले साल इसकी शुरूआत हुई और अब तक सौ से अधिक मामलों का फटाफट निस्तारण हो गया है। वर्तमान जीएम एमसी चौहान को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने आदेश दिया कि अब सभी तरह की फाइलों के लिए ऐसा ही ट्रैकिंग सिस्टम डेवलप किया जाएगा। जिससे काम में तेजी आएगी और पारदर्शिता रहेगी।