बदली यमुना की धारा, सुजावनदेव पर खतरा
आरके शर्मा, गौहनिया : भीटा स्थित सुजावन देव मंदिर से यमुना क्या दूर हुई। यहां की बालू पर खनन माफि
आरके शर्मा, गौहनिया : भीटा स्थित सुजावन देव मंदिर से यमुना क्या दूर हुई। यहां की बालू पर खनन माफिया की नजर गड़ गई। इस कदर अवैध खनन कर डाला कि मंदिर के पत्थर खिसकने लगे हैं। इससे स्थानीय लोग चिंतित हैं कि कहीं मंदिर का अस्तित्व ही खत्म न हो जाए।
यमुनापार में सुजावन देव मंदिर कभी यमुना नदी के बीचोंबीच था। सतह से सौ फुट ऊंचे पत्थर के टीले पर यह मंदिर पर्यटन विभाग के नक्शे पर अंकित है। यह मंदिर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। बरसात के दिनों में लोग यहां नाव के सहारे पहुंचते हैं। इसी वजह से यहां ओमकारा समेत कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। अवैध खनन जैसे कई कारण से जब नदी की धारा इस मंदिर से दूर हुई तो मंदिर के पास भी अवैध खनन होने लगा। अवैध खनन से मंदिर के पत्थर कमजोर हुए और बाढ़ के दौरान कई पत्थर खिसकने लगे।
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हर साल लगता है मेला
दीवाली के बाद भइया दूज पर सुजावन देव के तट पर यमद्वितीया का मेला लगता है। इसमें हजारों की भीड़ उमड़ती है। किवंदती है कि भइया दूज पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। बहन का हाथ पकड़कर उन्होंने यहां डुबकी लगाई थी। आतिथ्य संस्कार से खुश होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा था। यमुना ने कहा कि भैया दूज के दिन जो भक्त यमुना स्नान करेंगे उन्हें मृत्यु का भय न हो और उन्हें देव लोक में जगह मिले। यमराज ने कहा, ऐसा ही होगा। इसी मान्यता के चलते सुजावन देव मंदिर और यमुना तट पर हर वर्ष चित्रकूट में दीपदान कर हजारों श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं।
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नियम को दरकिनार कर बने भवन
इलाहाबाद : यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संरक्षित है। नियमों के मुताबिक ऐसे स्थलों में दो सौ मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता। फिर भी मंदिर से चंद दूरी पर सांसद व विधायक कोटे से सामुदायिक भवन बनाए गए हैं।