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हवाई अड्डे पर भू-माफियाओं की 'लैंडिंग'

संजय कुशवाहा, इलाहाबाद : एक ओर बमरौली में सिविल एयरपोर्ट बनाने को लेकर तमाम जद्दोजहद चल रही है। य

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 01:00 AM (IST)
हवाई अड्डे पर भू-माफियाओं की 'लैंडिंग'
हवाई अड्डे पर भू-माफियाओं की 'लैंडिंग'

संजय कुशवाहा, इलाहाबाद : एक ओर बमरौली में सिविल एयरपोर्ट बनाने को लेकर तमाम जद्दोजहद चल रही है। यहां तक कि हाईकोर्ट को भी इसमें दखल देना पड़ा है। लेकिन लाख कोशिश के बाद भी एयरपोर्ट को विस्तार देने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। वहीं दूसरी तरफ इरादतगंज हवाई अड्डा लावारिस पड़ा है। ब्रिटिश हुकूमत में इसे बनाया गया था और इसकी भूमि की कीमत अरबों रुपये है। हालत यह है कि एक दर्जन से ज्यादा ईट भट्टे इस हवाई अड्डे की जमीन पर चल रहे हैं। धुआंधार मिट्टी खोदी जा रही है। सिर्फ इतना ही नहीं, अब तो हवाई अड्डे की जमीन पर बस्तियां भी आबाद होती जा रही हैं। प्रशासनिक अधिकारी यह मानते हैं कि हवाई अड्डे की 60 फीसद जमीन पर अवैध कब्जे हैं, बावजूद इसके जमीन को मुक्त कराने की कोई ठोस पहल आज तक नहीं की गई। अब प्रदेश में नई सरकार बनी है। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। इससे लोगों को एक उम्मीद है कि शायद यहां की सुधि शासन में बैठे लोगों को आ जाए। ऐसा नहीं कि इस हवाई अड्डे को लेकर कभी बात नहीं हुई। जब-जब चुनाव होता है, नेताओं ने इस हवाई अड्डे की तस्वीर बदलने की बात कही है।

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द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था निर्माण

इलाहाबाद : यमुनापार के इरादतगंज हवाई अड्डे का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुआ था। युद्ध की शुरुआत तो 22 जून 1941 को हो गई थी, लेकिन इरादतगंज में इसका निर्माण शुरू हुआ था 1943 में। उस समय देश में अंग्रेजों का राज था। ब्रिटेन का साथ देने के लिए भारत को भी नाटो देशों के समर्थन में आना पड़ा। घूरपुर के इरादतगंज व गंगापार के पड़िला महादेव के पास हवाई अड्डे का निर्माण शुरू हुआ। इरादतगंज में हवाई अड्डा एक वर्ष बाद सन 1944 में बनकर तैयार हो गया। इसके लिए दो सौ मीटर चौड़े व लगभग पौने दो किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण कराया गया। रनवे से जुड़े आसपास के गांवों में 11 हैंगर बनाए गए। प्रत्येक हैंगर का क्षेत्रफल दो से पांच बीघे तक है। रनवे पर लैंड करने के बाद हवाई जहाज इन्हीं हैंगरों में भेज दिए जाते थे। कर्मचारियों के रुकने के लिए सैकड़ों क्वार्टर बने। हुल्लापुर, डोलियातारा, चौकठा के चंदरहिया बारी में भी सरकारी कालोनियां बनीं थीं। बोगी गांव के पास डाक बंगला स्थापित किया गया था। यहां अधिकारियों के कार्यालय, आवास, बैंक और पोस्टआफिस आदि थे। पांच किमी का पूरा क्षेत्र छावनी में तब्दील नजर आता था। हवाई अड्डे तक माल पहुंचाने के लिए इरादतगंज स्टेशन से हवाईपट्टी तक रेल लाइन बिछाई गई थी। बुजुर्ग बताते हैं कि उस समय यहां सैनिकों का जमावड़ा रहता था। काली और गोरी दो तरह की पल्टन यहां मौजूद रहती थी। जहाजें भी उतरती थीं। मई 1945 को विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से यहां हवाई अड्डा समाप्त कर दिया गया। करोड़ों की लागत से तैयार यह एयरपोर्ट अब अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। इसके प्रवेश द्वार पर लगे विशाल गेट को चोर उठा ले गए। हवाई पट्टी के हैंगरों और हवाई अड्डों से जुड़ी ज्यादातर जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए हैं। फर्श के पत्थर, मिट्टी और गिट्टी को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। हैरत की बात यह है कि वर्षो से यह गोरखधंधा चल रहा है बावजूद इसके प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।

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यहीं बसाया गया था बांग्लादेशी शरणार्थियों को

इलाहाबाद : इरादतगंज हवाई अड्डा कभी बांग्लादेशी शरणार्थियों की शरणगाह भी बना था। बात 1971 की है। जब पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। युद्ध के कारण भारत आए लाखों बांग्लादेशी शरणार्थियों को देश में ठहरने की समस्या हुई तो इरादतगंज हवाई पट्टी का उपयोग किया गया। हवाई पट्टी के चारों ओर कंटीले तारों की बाड़ लगाकर टेंटों का शहर बसाया गया था। शरणार्थी युद्ध समाप्ति के बाद यहां से रवाना हो गए। इसके बाद यहां भारतीय खाद्य निगम का अस्थाई गोदाम बनाया गया जो सन 1976 तक चला।

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ईट भट्टों से बदली तस्वीर

इलाहाबाद : इरादतगंज हवाई पट्टी पर काबिज ईट भट्टों ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। पर्यावरण को ताक पर रखकर भट्टा मालिकों ने अड्डे की जमीन पर धुआंधार खोदाई की। पांच फिट से लेकर 15 फिट तक जमीन खोद डाली गई है। इनका हौसला इस कदर बुलंद है कि अब भू माफिया रनवे से सटकर जमीन खोद रहे हैं।

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दो तहसीलों में बंटी जमीन

इलाहाबाद : इरादतगंज हवाई अड्डे की जमीन पर अवैध कब्जों को लेकर राजस्व कर्मी भी आमने सामने रहते हैं। बारा और करछना तहसीलों में बंटे होने का दंश भी इस अडडे को भुगतना पड़ा है। हवाई अड्डे से जुड़ी कुछ भूमि का हिस्सा इरादतगंज ग्राम सभा में है। इसकी तहसील बारा है। जबकि बोगी, चौकठा, बगबना, बलापुर, मुरादपुर आदि गांव करछना तहसील में आते हैं। तहसील के अधिकारी यह तो मानते हैं कि हवाई अड्डे की 60 फीसद जमीन पर अवैध कब्जे हैं, पर सवाल वही उठता है कि आगे बढ़कर पहल करे कौन। वैसे राजस्व विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस हवाई अड्डे की जमीन 46.167 हेक्टेयर दर्ज है। इसकी जमीनें 10 गांव तक फैली हुई हैं।

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हैंगरों पर आबाद होते जा रहे गांव

इलाहाबाद : हवाई अड्डे की जमीन पर कब्जे को लेकर होड़ मची हुई है। न सिर्फ ईट भट्टे वाले बल्कि आम लोग भी यहां की जमीन पर काबिज होते जा रहे हैं। हैंगरों पर पक्के मकान बनते जा रहे हैं। कई जगह तो हैंगर नजर ही नहीं आते। बगबना गांव के पास की दो हवाई पट्टियों पर दो दर्जन से ज्यादा परिवार बस गए हैं। खास बात यह कि बस्तियों में पक्के घर, सरकारी हैंडपंप और जलनिगम की पाइपलाइन तक बिछा दी गई है। सरकारी विभागों ने भी यहां की जमीन को गंभीरता से नहीं लिया। मुरादपुर चकिया, हुल्ला का पूरा आदि गांवों में स्थित हैंगरों पर भी बस्तियां बसती जा रही हैं।

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इरादतगंज हवाई अड्डे की 60 फीसद जमीनों पर अवैध कब्जे हो गए हैं। यह एरिया दो तहसीलों में आता है। एक गांव बारा जबकि नौ गांव करछना तहसील के अंतर्गत आते हैं। हम लोगों ने कई बार अभियान चलाने की कोशिश की, पर करछना तहसील से अपेक्षित सहयोग न मिल पाने के कारण अभी तक कुछ नहीं किया जा सका।

आरके शुक्ला, तहसीलदार, बारा

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मुझे आए तीन महीने हुए हैं। हवाई अड्डे के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। अगर ऐसी कोई बात है तो मैं पता लगाऊंगा। अगर हवाई अड्डे की जमीन पर अवैध कब्जा और उसकी जमीन राजस्व में दर्ज है तो फिर अभियान चलाकर इसे मुक्त कराया जाएगा।

एसके यादव, तहसीलदार, करछना

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पड़िला हवाई अड्डे को समय से चेते अधिकारी

इलाहाबाद : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पड़िला में बनाए गए हवाई अड्डे पर भी खतरा मंडराने लगा था। एक साल पहले तक यहां के सैकड़ों किसानों ने हवाई अड्डे की जमीन पर कब्जा जमा लिया था। इसकी जानकारी जैसे ही एयरफोर्स के अधिकारियों को लगी, वे तुरंत चेत गए। आनन फानन में यहां किसानों को हटाने की कार्रवाई शुरू करा दी। तमाम दिक्कतों के बाद पिछले साल जमीन को खाली करा लिया गया। चूंकि विभाग द्वारा पहले ही सीआरपीएफ को दो हजार एकड़ जमीन बेच दी गई है। इसलिए जितनी जमीन बची है, अब एयर फोर्स उसको सुरक्षित कर रही है। जमीन को दीवार से घेरने का काम तेजी से किया जा रहा है। लोगो को उम्मीद है कि इस हवाई अड्डे की तस्वीर जल्द ही बदल सकती है।


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