सजने लगा मा का दरबार, लगेगी श्रद्धालुओं की कतार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : नवरात्र पर देवी स्तुति के लिए मंदिरों में साज सज्जा और आठ दिनों तक पू
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : नवरात्र पर देवी स्तुति के लिए मंदिरों में साज सज्जा और आठ दिनों तक पूजन की तैयारियों का दौर शुरू हो गया है। भक्तजन मां आदिशक्ति की आराधना को आतुर हैं। इन तिथियों में तमाम लोग उपवास भी रखेंगे। शहर की सभी सिद्धपीठों की अलग-अलग गाथाएं हैं और इन मंदिरों में नवरात्र के लिए सभी कार्यक्रम लगभग तय हो चुके हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार दक्ष यज्ञ में भगवान शिव की निंदा सुनकर जब सती ने अपना प्राण त्याग दिया तब उनके मृत शरीर को लेकर देवाधिदेव महादेव, क्रुद्ध होकर तांडव नृत्य करने लगे। ऐसी स्थिति में शिव को शांत करने के लिए श्री नारायण ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भाग में काट दिया। सती का अंग जहां-जहां गिरा वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में आज भी पूजे जाते हैं। मान्यता है कि प्रयाग में तीन ऐसे स्थल हैं जहां सती का अंग गिरा। इसमें ललिता देवी, कल्याणी देवी व अलोपशंकरी शामिल हैं। नवरात्र में हर मंदिर में विशेष पूजन व अनुष्ठान होता है, जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा क्षेमा माई, मां कालीमाई सहित हर मंदिर के बाहर माला, फूल, चुनरी, नारियल की दुकानें सजने लगी हैं।
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लोप हुआ मां शक्ति का अंग
इलाहाबाद : संगम से कुछ दूरी पर स्थित अलोपीबाग मुहल्ले में मां अलोपशंकरी का प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है। पुराणों के अनुसार यहां माता सती का जो अंग गिरा वह लोप हो गया। इसी कारण यहां मां भगवती की पूजा अलोपशंकरी के रूप में होती है। भक्त मंदिर में स्थित पालने पर मत्था टेककर पूजा करते हैं। नवरात्र में यहां मां का श्रृंगार तो नहीं होता लेकिन उनके स्वरूपों के अनुसार पाठ किया जाता है। इसके अलावा सोमवार व शुक्रवार को यहां विशाल मेला लगता है। यहां दूर-दूर से आकर भक्त मुंडन व नक, कण छेदन कराते हैं।
-सामूहिक भजन : नवरात्र के दौरान मंदिर में प्रतिदिन सामूहिक भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। इसके माध्यम से मां की महिमा का बखान किया जाएगा, साथ ही मां का श्रृंगार फूल व पत्तियों से किया जाएगा। भक्त नवरात्र में बैंडबाजा के साथ निशान चढ़ाने आते हैं।
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कष्टहरणी हैं मां ललितादेवी
इलाहाबाद : यमुनातट पर मीरापुर मुहल्ले में मां ललिता का अति प्राचीन मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यहां माता सती की हस्तांगुल गिरी है, जिसके चलते मंदिर की गिनती 51 शक्तिपीठों में की जाती है। लाक्षागृह अग्निकांड से सकुशल बाहर निकलने पर पांडवों ने यहां आकर मां ललिता का विधिवत पूजन-अर्चन किया था। आगे चलकर प्रभुदत्त ब्रह्माचारी ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर भव्य स्वरूप दिया। मंदिर में देशभर से वर्ष पर्यत भक्त आते हैं। मान्यता है कि यहां भक्तों को धन, यश-कीर्ति, पुत्र की प्राप्ति होती है।
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प्रतिदिन होगा विशेष श्रृंगार
मां ललिता देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा का कहना है कि मंदिर जीर्णोद्धार का काम जोर-शोर से चल रहा है। भक्तों के आर्थिक सहयोग से गुलाबी पत्थरों से मंदिर को भव्य एवं विशाल स्वरूप दिया जा रहा है। नवरात्र में जनकल्याण के लिए शतचंडी यज्ञ का आयोजन करने के साथ प्रतिदिन शाम को सामूहिक आरती व भजन-कीर्तन होगा। मां के स्वरूप के अनुरूप प्रतिदिन स्वर्णाभूषणों से मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा।
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कल्याण करती हैं मां कल्याणीदेवी
इलाहाबाद : तीर्थराज प्रयाग में मां कल्याणी देवी का अतिप्राचीन मंदिर है। जहां सालभर देशभर से भक्तजन दर्शन-पूजन करने आते हैं। मां कल्याणी की गिनती 51 पीठों में की जाती है। इनकी महिमा का बखान पुराणों में किया गया है। पद्म पुराण के प्रयाग महात्म्य के 76वें अध्याय के 17वें श्लोक में मां कल्याणी के स्वरूप का भव्य वर्णन है। इसके अलावा मत्स्य व ब्रह्मावैवर्त पुराण में भी मां कल्याणी के दर्शन-पूजन को अति कल्याणकारी बताया गया है।
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अत्यंत प्राचीन है मां की प्रतिमा
मां कल्याणी देवी का मंदिर प्रयाग में अत्यंत पवित्रतम् स्थल माना गया है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में महर्षि याज्ञवल्क्य की यह साधना स्थली रही है। पुरातत्वविदों ने यहां की प्रतिमा को सातवीं शताब्दी का बताया है। सन 1892 में चौ. महादेव प्रसाद ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। इसके बाद भक्तों की मदद से मंदिर को भव्य स्वरूप दिया गया। नवरात्र में जनकल्याण को मंदिर में शतचंडी यज्ञ 11 वैदिक ब्राह्माणों द्वारा कराया जाता है। प्रतिदिन मां के स्वरूप के अनुरूप फल, सब्जी व रत्नजड़ित आभूषणों से भव्य श्रृंगार किया जाता है। नवरात्र में बच्चों का मुंडन, कण व नक छेदन होता है। नवमी को मां के दरबार में विशाल भंडारा होता है।