अनूठी वकालत से सुबकते चेहरों पर ला रहीं चमक
जासं, इलाहाबाद : जौनपुर, मऊआइमा में लड़कियों पर एसिड अटैक हुआ। अखबारों में छपा और दो दिन बाद लोग भ
जासं, इलाहाबाद : जौनपुर, मऊआइमा में लड़कियों पर एसिड अटैक हुआ। अखबारों में छपा और दो दिन बाद लोग भूल गए। बाल शिशु गृह में बच्चों की दयनीय हालत का मामला चर्चा में आया और दो दिन बाद शांत। यह सब मामले हाईलाइट हुए तो युवा अधिवक्ता स्मृति कार्तिकेय ने इसे खबरों की तरह पढ़कर टाला नहीं बल्कि उसकी कटिंग काटकर रख ली। फिर इन पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए निकल पड़ी।
वह साल 2013 था, लखनऊ से एलएलबी करके स्मृति कार्तिकेय हाईकोर्ट इलाहाबाद में वकालत करने लगीं। इसी दौरान अखबार की सुर्खियों में जौनपुर में एसिड अटैक का मामला छाया था। लड़कियों पर ऐसा अत्याचार देख वह विचलित हुई और कुछ साथियों के साथ के मौके पर गई। पता चला कि सगाई से एक दिन पहले पड़ोस के युवक ने युवती पर एसिड अटैक कर दिया था। वहां से तमाम एविडेंस लेकर स्मृति कार्तिकेय लौटीं और हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। पीड़िता से बिना कोई शुल्क लिए उसका मुकदमा लड़ा और जीत मिली। इस मामले में पीड़िता को तीन लाख रुपये मुआवजा दिलवाया। केस चलने तक दवा में पीड़िता का 98 हजार रुपये खर्च हो चुका था। उसे वापस दिलवाया और इलाज का आगे का पूरा खर्च फ्री कराया। वहीं आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हुई। इसके बाद मऊआइमा में तीन लड़कियों पर एसिड अटैक का मामला आया। उसमें भी स्मृति ने तीनों लड़कियों को मुआवजा दिलाने के साथ ही लखनऊ के मेडिकल कालेज में उनका इलाज फ्री कराया। इनकी सक्रियता के बाद लखनऊ मेडिकल कालेज में एसिड अटैक पीड़ितों के लिए 25 बेड सुरक्षित किए गए। कुछ दिनों बाद वहां अलग से बर्न यूनिट बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने 3.81 करोड़ रुपये दिए। इन सब मामलों के बाद प्रदेश सरकार की नींद खुली और पीड़ित महिलाओं को मदद दिलाने के लिए रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष का भी गठन किया गया।
स्मृति बताती हैं कि ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क के जरिए वह कई लोगों के सहयोग से काम कर रही हैं। पीड़ितों को निश्शुल्क न्याय दिलाने में उनके साथ संगठन के अध्यक्ष केके राय, चार्ली प्रकाश आदि हैं। इनकी टीम ने अब तक सौ से अधिक जनहित याचिका दायर की।
दरगाह में लगा सीसीटीवी
मुनौव्वर अली शाह बाबा की दरगाह में लोगों को बेड़ियों में बांधकर उनका इलाज किया जाता था। इसकी जानकारी स्मृति को हुई तो वह अपनी टीम के साथ वहां पहुंची। पीड़ितों का फोटो लिया और वहां के लोगों के बात करके पीआइएल दाखिल की। इसके बाद वहां से लोगों को मुक्त कराया गया और आगे ऐसा करने पर कार्रवाई का आदेश हुआ। आगे से ऐसा न हो इसलिए दरगाह परिसर में सीसीटीवी लगवा दिया गया है।
पत्थर तोड़ने वालों को मिला इलाज
शंकरगढ़ में पत्थर तोड़ने वाले परिवारों का जीवन गरीबी, तंगहाली और बीमारी से जूझ रहा था। स्मृति ने उनके लिए भी जनहित याचिका दायर की और फिर वहां पर मेडिकल कैंप लगने लगा और लोगों को इलाज किया। इनके दखल के बाद वहां पर एक स्कूल भी खोला गया।
निठारी कांड के आरोपी की सजा बदलवाई
बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा हुई थी। इस मामले में भी स्मृति कार्तिकेय ने जनहित याचिका दायर की और न्याय देने में देरी का तर्क देते हुए कोली की सजा को उम्र कैद में बदलवाया।
आर्सेनिक से मिली मुक्ति
सोनभद्र के कई इलाकों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। लोग उस पानी को पीकर बीमार हो रहे थे। इस मामले में भी स्मृति की टीम ने जनहित याचिका दायर की और अब प्रदेश सरकार वहां पर टैंकर से पानी भिजवा रही है।