शहीद ए आजम की शहर में प्रतिमा की दरकार
जासं, इलाहाबाद : शिक्षा का गढ़ कहे जाने वाले इलाहाबाद में युवा ब्रिगेड भी अन्य जिलों की अपेक्षा कुछ
जासं, इलाहाबाद : शिक्षा का गढ़ कहे जाने वाले इलाहाबाद में युवा ब्रिगेड भी अन्य जिलों की अपेक्षा कुछ अधिक ही रहती है। विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं के साथ ही यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों की बहुतायत है। लेकिन आजादी के दीवानों में युवाओं का नेतृत्व करने वाले सरदार भगत सिंह की एक अदद प्रतिमा तक इलाहाबाद में कहीं स्थापित नहीं है।
चंद्रशेखर आजाद पार्क में आजाद की प्रतिमा देखने के लिए प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग जाते हैं। इनमें युवाओं की तादाद अधिक होती है। आजाद की तरह ही भगत सिंह भी युवाओं के दिल में बसे हैं। लेकिन उनकी प्रतिमा कहीं स्थापित न होने से युवाओं को यह काफी अखरता है।
इलाहाबाद में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र जौनपुर के कृष्णगोपाल कहते हैं कि इलाहाबाद जैसे शहर में भगत सिंह की प्रतिमा न होने से बेहद अफसोस होता है।
ऐसा नहीं कि शहर में शहीद ए आजम की प्रतिमा लगाने के लिए प्रयास नहीं हुए। वर्ष 2010-11 में नगर निगम ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें चंद्रशेखर आजाद पार्क में ही भगत सिंह की प्रतिमा लगाए जाने की बात कही गई थी। यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। शहर उत्तरी के विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने यह मामला विधानसभा में भी उठाया था। लेकिन सरकारी उदासीनता से अभी तक इस मसले पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका। इस मामले को नगर निगम में उठाने वाले पार्षद शिवसेवक सिंह इस सरकारी ढील से बेहद असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि 'शहीद चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह जैसे व्यक्तित्व से युवा प्रेरणा लेते हैं। उनका जीवन दर्शन युवाओं को रास्ता दिखाता है। इस शहर में पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों से युवा आते हैं। इसलिए हमारी मांग है कि यहां भगत सिंह की प्रतिमा लगाई जाए और उन्हें राष्ट्रपिता की तरह राष्ट्रपुत्र घोषित किया जाए।'
'शासन स्तर से इस प्रतिमा के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं हैं। मगर शहीद ए आजम से शहर की भावनाएं जुड़ी हैं, इसलिए उनकी प्रतिमा लगाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।'
संजय कुमार, जिलाधिकारी