यशोदानंदन की भक्ति में सराबोर भक्त
----फोटो---- -कल मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : धन, धान्य,
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-कल मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : धन, धान्य, योग, सिद्धि के प्रदाता। यशोदानंदन श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर कोई भक्तिभाव में सराबोर है। संत-महात्मा, योगी व साधक सभी कान्हा प्राकट्योत्सव की खुशियां उल्लास से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में गुरुवार की मध्यरात्रि कान्हा जन्म लेंगे। वह ऐसा पल होगा, जिसमें भक्तों का उल्लास, उत्साह व उमंग चरम पर होगा। श्रीकृष्ण के जन्म लेने पर मठ-मंदिरों के साथ घरों में बधाई बजेगी। मुरली मनोहर का भव्य श्रृंगार कर भक्त भजन-पूजन के जरिए उनकी महिमा का बखान करेंगे।
आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि अष्टमी तिथि बुधवार की रात 12.47 बजे आरंभ होकर गुरुवार की रात 10.23 बजे तक रहेगी। जबकि रोहिणी नक्षत्र का आरंभ गुरुवार को दिन में 3.20 बजे से होगा। उदया तिथि के चलते अष्टमी तिथि का मान रात भर माना जाएगा। ऐसे में गुरुवार की मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण अवतरण पर्व जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जन्माष्टमी का व्रत भी इस दिन रहेगा। वह बताते हैं कि कुछ वैष्णव सूर्योदय काल में रोहिणी नक्षत्र होने पर जन्माष्टमी मनाते हैं। ऐसे लोग शुक्रवार को जन्माष्टमी मनाएंगे, हालांकि इस दिन तिथि नवमी रहेगी। ज्योतिर्विद आशुतोष वाष्र्णेय बताते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धाभाव से व्रत रखकर भगवान का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। वह बताते हैं कि जन्माष्टमी पर्व पर व्रत रखने से एक हजार एकादशी का व्रत रखने के बराबर फल प्राप्त होता है। भविष्य पुराण के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु से बचाता है। इस दिन उपवास कर आत्मिक अमृत पान करते हुए अहं का त्याग करना चाहिए।
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भाव से करें कान्हा की स्तुति
इलाहाबाद : आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि जन्माष्टमी को सूर्यास्त के बाद स्नान कर समस्त देवों को प्रणाम कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल अथवा मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें, उनके पालने को सजाएं। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी आदि के नाम भी बोले। भगवान श्रीकृष्ण को फूल अर्पित करें। इसके बाद भगवद्गीता का पाठ करें। जबकि मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। पालने को झुलाकर पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाकर आरती करें।