आशा-निराशा के भंवर में दुआओं का समंदर
बृजेश गौतम, इलाहाबाद : लांस नायक लक्ष्मीकांत त्रिपाठी के घर वालों, खास कर उनके माता-पिता को बमरौली ए
बृजेश गौतम, इलाहाबाद : लांस नायक लक्ष्मीकांत त्रिपाठी के घर वालों, खास कर उनके माता-पिता को बमरौली एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले विमान शनिवार को कभी दिलासा देते रहे तो कभी मायूसी। पड़ोसियों व रिश्तेदारों उन्हें दिलासा दे रहे थे, सब कुछ कुशल रहने की, इससे उम्मीदें बंधी हैं, पर मजबूत कलेजा भी डगमग होता रहा। हो भी क्यों नहीं, हालात ही ऐसे हैं इसलिए विमानों को ओझल होने तक अपनी नजरों में समेटे रहे। आशा-निराशा के भंवर में दुआओं का समंदर किसी मरहम से कम नहीं था।
लापता बेटे से मिलने की उनकी बेकरारी और तड़प बढ़ चुकी है। वह कैसे मिलेगा, कौन मिलाएगा? यही वह पूछ रहे हैं आने वालों से। एयरपोर्ट बमरौली के कमांडेट के राजेंद्रन मिलने आए तो पिता नरेंद्र त्रिपाठी के सब्र का बांध टूट गया। फफक कर वह रो पड़े। कमांडेंट ने दिलासा दिया कि खोजबीन की जा रही है। मंत्रालय पूरी ताकत से जुटा हुआ है। रविवार तक लापता विमान जरूर ढूढ़ निकाला जाएगा। इस दिलासा के बावजूद उनकी आंखों में सवाल बना रहा। लांस नायक का छोटा भाई कार्तिकेय भी गुमसुम था। शाम को वह गोशाला में गाय दुहने गया जरूर लेकिन बेमन से। उसकी आंख से आंसू टपटपा रहे थे। बहन वंदना पांडेय खबर सुनकर बदहवास हालत में घर आई। मां से लिपटकर रो पड़ी तो घर से चीखने की आवाजें उठीं। पूरा मोहल्ला शाम तक अच्छी खबर का इंतजार कर रहा था। धैर्य बंधाने के लिए घर के बाहर तमाम लोग खड़े नजर आए।
बुधवार शाम हुई थी बातचीत
लांस नायक लक्ष्मीकांत त्रिपाठी 19 जुलाई को पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट जाने के लिए घर से निकले थे। शिवगंगा एक्सप्रेस से चेन्नई पहुंचे। बुधवार की शाम पिता से बातचीत हुई। नरेंद्र ने कहा था कि पोर्ट ब्लेयर पहुंचकर सूचना दे देना, लेकिन यह खबर नहीं आई। मिली तो यह मनहूस सूचना कि लक्ष्मी उस विमान में है, जिसका कोई पता नहीं चल पा रहा है।
बास्केट बाल खेलते समय चोट: लक्ष्मीकांत खेलों के शौकीन है। आठ जुलाई को वह बास्केट बाल खेलते समय चुटहिल हुए थे। 16 जुलाई को उन्होंने आखिरी बार डॉक्टर को दिखाया तो उन्हें बताया गया कि उनके पैर की चोट ठीक हो चुकी है। वह नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं।
खेत में थे पिता तभी मिली सूचना
इलाहाबाद के इस जांबाज वायुसैनिक के पिता खेती किसानी करते हैं। शुक्रवार सुबह अपने गांव शुक्लन का पुरवा (नवाबगंज) में धान की रोपाई कराने गए थे। दोपहर करीब दो बजे वह खेत में ही थे, तभी पोर्ट ब्लेयर के एयरफोर्स अधिकारियों ने सूचना दी थी कि विमान लापता हो गया है। इसके बाद वह बदहवास हालत में घर पहुंचे और अपने बड़े भाई गजेंद्र त्रिपाठी, वीरेंद्र त्रिपाठी और छोटे भाई देवेंद्र त्रिपाठी को सूचना दी। किसी तरह उनको राजरूपपुर लाया गया। परिवार के सभी सदस्य मौजूदा समय उनके साथ हैं।
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प्रशासनिक अफसर बनने की हसरत
लांस नायक लक्ष्मीकांत त्रिपाठी का सपना प्रशासनिक अफसर बनने का भी है। वायुसेना में नौकरी मिलने के बाद वह प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल होते रहे। इसी साल उन्होंने एसएससी की परीक्षा दी थी। इसमें वह सफल हो चुके हैं और सितंबर में इंटरव्यू होना है। सबको उम्मीद है कि वह इंटरव्यू में जरूर हिस्सा लेंगे।