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स्कार्पियो में दम घुटने से मासूम की मौत

अटरामपुर, इलाहाबाद : नवाबगंज के नरहा गांव में बुधवार को लॉक स्कार्पियो में फंसे एक बालक की दम घुटने

By Edited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)
स्कार्पियो में दम घुटने से मासूम की मौत

अटरामपुर, इलाहाबाद : नवाबगंज के नरहा गांव में बुधवार को लॉक स्कार्पियो में फंसे एक बालक की दम घुटने से मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना का पता तब चला जब रात से गायब मासूम के परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की। बालक की मौत की जानकारी होने पर उसके परिजन बदहवास हो गए। स्कार्पियो गांव के प्रधानपति की है।

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नरहा गांव में रहने वाले रामप्यारे पटेल मिठाई की दुकान में कारीगर हैं। उनके दो पुत्रों में छोटा क्रेनिया (7) गांव के प्राथमिक स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता था। क्रेनिया की गांव की प्रधान प्रीति पटेल के बच्चों के साथ अच्छी दोस्ती थी। वह उनके यहां खेलने के लिए जाता था। मंगलवार की शाम भी वह इसीलिए वहां गया था। इसी बीच प्रधानपति राम प्रताप कहीं से लौटे और अपनी स्कार्पियो गाड़ी घर के बाहर खड़ी कर दी। वह उसे लॉक करना भूल गए। स्कार्पियो खड़ी देख नजदीक में ही खेल रहा क्रेनिया वहां पहुंचा और स्कार्पियो का दरवाजा खोलकर अंदर चला गया। इधर जब राम प्रताप को याद आया कि वह स्कार्पियो को लॉक करना भूल गए हैं तो उन्होंने घर के अंदर से ही रिमोट से स्कार्पियो को लॉक कर दिया। दरवाजा बंद होने से स्कार्पियो में बैठा क्रेनिया उसके अंदर ही रह गया। रात में उसके परिजनों ने यह समझा कि वह पड़ोस के किसी घर में ठहर गया होगा। सुबह जब वह नहीं लौटा तो खोजबीन शुरू की गई। चूंकि उसका ग्राम प्रधान के घर सबसे अधिक आना-जाना होता था, इसलिए वहां भी पूछताछ की गई। थोड़ी देर बाद प्रधानपति राम प्रताप ने कहीं जाने के लिए स्कार्पियो का दरवाजा खोला तो उनके होश उड़ गए। सीट पर क्रेनिया की लाश पड़ी हुई थी। दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी। यह बात जब क्रेनिया के परिजनों को पता चली तो वह रोते-बिलखते प्रधान के घर पहुंचे। चूंकि मामला पट्टीदारी का था, लिहाजा घटना की सूचना पुलिस को दिए बगैर मासूम के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस संबंध में एसओ नवाबगंज दीपक कुमार पांडेय का कहना है कि उनके पास ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं।

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ट्रेन में जन्म होने से नाम पड़ा क्रेनिया

सात साल के क्रेनिया का ननिहाल बिहार में था। उसकी मां अपने मायके जा रही थी। ट्रेन में ही उसका जन्म हुआ था। इस वजह से परिजनों ने उसका नाम क्रेनिया रखा था। लाड़ में पूरा गांव उसे इसी नाम से बुलाता था। ग्रामीणों से जब उसके असली नाम के बारे में पूछा गया तो कोई बता पाने की स्थिति में नहीं था।


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