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जल से जीवन, तालाबों से जल

कॉमन इंट्रो जल से ही जीवन है और जल बचाने के लिए इसके स्रोत जिंदा रखने होंगे। अनादि काल से वाटर रिच

By Edited By: Published: Sat, 28 May 2016 01:53 AM (IST)Updated: Sat, 28 May 2016 01:53 AM (IST)
जल से जीवन, तालाबों से जल

कॉमन इंट्रो

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जल से ही जीवन है और जल बचाने के लिए इसके स्रोत जिंदा रखने होंगे। अनादि काल से वाटर रिचार्जिग का सबसे बड़ा जरिया तालाब इस दौर में खत्म हो रहे हैं। नतीजा सामने है, जलस्तर लगातार गिर रहा है। हैंडपंप सूख रहे हैं, इलाहाबाद जैसे जिले की एक बड़ी आबादी पीने के पानी को तरस रही है। ये तस्वीर बदलनी है तो तालाबों को फिर जीवंत करना होगा। दैनिक जागरण का 'तलाश तालाबों की' अभियान इसी सोच का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को दैनिक जागरण ने अफसरों, समाजसेवियों और विषय विशेषज्ञों के साथ मंथन किया। तालाबों के खत्म होने की चिंता पर सबके माथे पर शिकन थी, सबने एकराय से इस अभियान की सराहना करते हुए पुरजोर ताकत से तालाबों को जिंदा रखने का संकल्प दोहराया।

तालाबों बचाने को मिले हाथ से हाथ

- दैनिक जागरण की संगोष्ठी में सबने स्वीकारी अपनी भूमिका

- तालाबों को कब्जामुक्त कराकर उन्हें जीवन देने पर दिया जोर

जासं, इलाहाबाद : दैनिक जागरण के अभियान 'तलाश तालाबों की' के तहत शुक्रवार को सर्किट हाउस में एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट से गंगा के लिए नियुक्त न्यायमित्र अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने की। संगोष्ठी में अफसरों से लेकर शिक्षाविद, समाज सेवी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवियों ने बेबाकी से स्वीकार किया कि तालाबों की दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं वे भी जिम्मेदार हैं। इसलिए अब तालाबों को आबाद करने की जिम्मेदारी भी उनकी है।

अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने दैनिक जागरण के प्रयास सराहना करते हुए कहा कि तालाब तभी बचेंगे जब लोग इसके प्रति संवेदनशील हों। उन्होंने भूजल के रिचार्ज होने की पूरी प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए इसमें तालाबों और नदियों की भूमिका को प्रमुख बताया। मुख्य अतिथि प्रभारी जिलाधिकारी अटल कुमार राय ने कहा कि प्रशासन तालाब बचाने के लिए संवेदनशील है, लेकिन खत्म होते कई तालाबों के बारे में उन्हें दैनिक जागरण से ही जानकारी मिली। संपूर्ण प्रशासन इस अभियान की सराहना करता है और तालाबों को संरक्षित करने के लिए हर स्तर पर सहयोग करेगा।

विशिष्ट अतिथि एडीएम प्रशासन दयाशंकर पांडेय ने कहा कि प्रशासन भी दैनिक जागरण के अभियान में उनके साथ है। पूरी उम्मीद है कि इस समन्वित प्रयास से हम इलाहाबाद जिले को एक बेहतर कल देंगे। विशिष्ट अतिथि उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने कहा कि इस सामयिक अभियान में हर शख्स की भागीदारी जरूरी हो गई है। वे अपने स्तर पर भी इसके लिए प्रयास करेंगे। विशिष्ट अतिथि गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के प्रोफेसर सुनीत सिंह ने बताया कि प्राकृतिक जलसंरक्षण के स्रोतों के नष्ट होने का खामियाजा जिले का एक बड़ा हिस्सा भुगत रहा है। अकाल और आपदाएं आ रही हैं। उन्होंने इलाहाबाद के आसपास के भूजल स्तर के गिरते स्तर के साथ ही इसके कारणों पर प्रकाश डाला।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एनएसएस की कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मंजू सिंह, ईसीसी के अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. उमेश प्रताप सिंह और ईसीसी के हिन्दी विभाग के डॉ. राजेश गर्ग ने कहा कि युवाओं को भी तालाब अभियान से जोड़ा जाना चाहिए। पूर्व में छात्रों ने कई स्थानों पर अच्छे काम किए हैं। मगर बाद में अतिक्रमण होने से सारी मेहनत बर्बाद हो गई है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता पुनीत कुमार उपाध्याय ने तालाबों के संरक्षण के लिए कानूनी पहलू की जानकारी दी।

मुंडेरा व्यापार मंडल के अध्यक्ष धनंजय सिंह, पार्षद अहमद अली ने कहा कि बिना जनसहभागिता के तालाबों की लड़ाई जीती नहीं जा सकती। इसलिए इसमें सबको मिलकर लड़ना होगा। भजन गायक आशुतोष श्रीवास्तव, समाज सेविका रश्मि शुक्ला, नाजिया नफीस ने कहा कि तालाब अतिक्रमण से छटपटा रहे हैं। अगर इनकी नियमित साफ-सफाई हो तो ये फिर चहक सकते हैं। व्यापारी सौरभ गुप्ता, अधिवक्ता चंदन कुमार सिंह, भाजपा नेता मनोज कुशवाहा, कांग्रेसी नेता तारिक सईद अज्जू और पर्यावरण शोधार्थी शरदेंदु सौरभ ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में विषय परिवर्तन दैनिक जागरण इलाहाबाद के वरिष्ठ समाचार संपादक जगदीश जोशी ने किया। संचालन सुरेश पांडेय और आभार अवधेश पांडेय ने जताया।

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कोट..

- पुराने समय में धनाढ्य लोग तालाब खुदाना अपनी शान-शौकत समझते थे। आज बड़े लोग उसे पाटकर कब्जा कर रहे हैं। समाज का उच्च वर्ग तालाबों का महत्व अपने जेहन में उतार ले तो हालात बदलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। तालाबों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और कारपोरेट घरानों के सहयोग से जीवित करने की जरूरत है।

-अटल कुमार राय, प्रभारी जिलाधिकारीे

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तालाबों पर अतिक्रमण न हो इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय सख्त है। स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। यदि अतिक्रमण की समस्या खत्म हो जाए तो बढ़ता जल संकट थम जाएगा। लोगों को पानी बचाने के उपाय करने चाहिए। शहरी क्षेत्र में लोगों की सीवर और नहाने-धोने में उपयोग होने वाले पानी के स्टोर की अलग व्यवस्था करनी चाहिए।

-अरुण कुमार गुप्ता, न्यायमित्र गंगा नदी, हाईकोर्ट

तालाबों की जीवित रखने के लिए सुव्यवस्थित ड्रेनेज पैटर्न की जरूरत है। प्रत्येक गांव में ड्रेनेज मैप होना चाहिए। तालाब समुदाय का होता है, न कि प्रशासन का, मगर इसकी देखरेख की जिम्मेदारी प्रशासन की है। अगर प्रशासन ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाए और तालाबों पर अतिक्रमण नहीं हो तो कभी भी जल संकट आ ही नहीं सकता है।

-प्रो. सुनीत सिंह, गोविंद वल्लभ पंत संस्थान

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लोगों में जागरूकता की कमी से तालाब खत्म हो रहे हैं। यदि आम आदमी तालाब को लेकर संजीदा हो जाए तो समस्या नहीं रहेगी। दैनिक जागरण के साथ प्रशासन भी तालाबों की घटती समस्या को लेकर चिंतित है। ग्रामीण क्षेत्र में जनसहयोग से तालाबों की खोदाई, साफ-सफाई और देखरेख पर जोर दिया जा रहा है। जल्द अच्छे परिणाम आएंगे।

-दया शंकर पांडेय, एडीएम सिटी

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तालाबों में पानी होने पर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसका पानी खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग न हो। क्योंकि ऐसा करने से तालाब सूख जाते हैं। तालाबों में मछली पालन और सिंघाड़ा लगाना चाहिए। जब तक जमीन में पानी नहीं जाएगा, तब तक तालाब को कोई लाभ नहीं मिलेगा। तालाबों को लेकर पारिस्थितिकी तंत्र अपनाने की जरूरत है।

-गौरव कृष्ण बंसल, निदेशक, एनसीजेडसीसी

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