'¨हदी के सच्चे साधक थे प्रभात शास्त्री'
जासं, इलाहाबाद : ¨हदी साहित्य के सच्चे साधक थे डॉ. प्रभात शास्त्री। उन्होंने ¨हदी के साथ संस्कृत भाष
जासं, इलाहाबाद : ¨हदी साहित्य के सच्चे साधक थे डॉ. प्रभात शास्त्री। उन्होंने ¨हदी के साथ संस्कृत भाषा को संरक्षित करने में अहम योगदान दिया। अगर बात ¨हदी साहित्य सम्मेलन की कि जाए तो यह एक प्रेरणा स्थल है। जो हमें ¨हदी से जोड़ता है। सीएमपी डिग्री कालेज के प्राचार्य डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने यह बातें कही। वह शुक्रवार को ¨हदी साहित्य सम्मेलन में डॉ. प्रभात शास्त्री की जयंती पर आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। कहा कि आज डॉ. प्रभात शास्त्री व ¨हदी साहित्य सम्मेलन परस्पर पर्याय बन गए हैं।
उन्होंने डॉ. शास्त्री ने संस्कृत और ¨हदी के संबंध को रेखांकित किया। हरिमोहन मालवीय ने डॉ. प्रभात के कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। सहायक मंत्री श्यामकृष्ण पांडेय ने डॉ. प्रभात को सम्मेलन का उन्नायक बताते हुए उनके क्रांतिकारी व्यक्तित्व को रेखांकित किया। इस दौरान संस्कृत विद्वान रमाशंकर पांडेय शास्त्री, डॉ. राजेंद्र त्रिपाठी रसराज व डॉ. जनार्दन प्रसाद पांडेय मणि को संस्कृत महामहोपाध्याय की मानद उपाधि दी गई। प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान रामनरेश तिवारी पिंडीवासा, कृष्णचंद्र शुक्ल, नरेशचंद्र, डॉ. रामजी मिश्र, पृथ्वीनाथ पांडेय मौजूद थे।