मिडडे मील न बनने पर बच्चों को मिलेगा पैसा
जासं, इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों में मिड डे मील नहीं बनने पर बच्चों के खातों में प्रतिदिन के हिसाब स
जासं, इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों में मिड डे मील नहीं बनने पर बच्चों के खातों में प्रतिदिन के हिसाब से पैसा (प्रतिपूर्ति) जमा करने की योजना बनाई जा रही है। शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। यह व्यवस्था खाद्य सुरक्षा अधिनियम कानून एक अप्रैल से लागू होने के बाद शुरू होगी।
परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल में मिड डे मील दिया जाता है। यह व्यवस्था संचालित कराने के लिए विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में परिवर्तन लागत दी जाती है। अभी तक किन्हीं कारणों से बजट नहीं आने पर प्रधानाध्यापक यह कह कर काम चला लिया करते थे कि शासन से परिवर्तन लागत नहीं आ रही है। कब तक वह अपनी जेब से मिड डे मील बनवाएं। अप्रैल माह से खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत बच्चों को भोजन का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। जिसके तहत उन्हें मिड डे मील नहीं दिए जाने पर प्रतिपूर्ति दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। प्राथमिक स्कूलों के प्रति बच्चे के लिए 3.86 और उच्च प्राथमिक स्कूल के प्रति बच्चे को 5.78 रुपये परिवर्तन लागत दी जाती है। विभागीय अफसरों के अनुसार उत्तर प्रदेश में यह व्यवस्था किन्हीं कारणों से अभी तक नहीं शुरू थी। जबकि मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों व्यवस्था लागू है जहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हो चुका है। उप्र में एक अप्रैल से खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने की संभावना है। इसी कड़ी में शासन स्तर पर मिड डे मील न बनने के एवज में बच्चों को नकद भुगतान देने पर मंथन शुरू हो चुका है। मिड डे मील मंडल समन्वयक सुनीत पांडेय के मुताबिक लखनऊ में इस संबंध में उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक आहूत की गई थी जिसमें प्रदेश भर के समस्त जनपद के मंडल समन्वयक बुलाए गए थे। बैठक के दौरान उच्च अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कहा कि यह व्यवस्था अप्रैल माह से शुरू होने की संभावना है।