बिजली-पानी न सही, वोट तो है..
-समस्याओं का बोझ लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचे मतदाता जासं, इलाहाबाद : टूटे हैंडपंप, बिन बिजली के खंभे
-समस्याओं का बोझ लिए पोलिंग बूथ तक पहुंचे मतदाता
जासं, इलाहाबाद : टूटे हैंडपंप, बिन बिजली के खंभे और गलियों में बहता गंदा पानी। इन समस्याओं का बोझ लिए मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंचे। वोट डाला और चलते बने। शुक्रवार को जिले के पांच ब्लाकों में हुए पंचायत चुनाव में उखड़ी सड़कों पर मतदाताओं की तेज चाल यह बता रही थी कि गंवई चुनाव में समस्याएं बेमानी हो जाती हैं। दिल में टीस तो रहती है, पर वह बाहर आने से कतराती है। पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर लोग वोट देने पहुंचे। मन में यही विश्वास लिए कि शायद इस बार का उनका वोट विकास की गंगा बहाने में मददगार साबित होगा।
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-उखड़ी सड़कों पर दौड़ते रहे मतदाता
इलाहाबाद : करछना के हर्रई गांव की सड़क पांच महीने से उखड़ी हुई है। गिट्टियां चारों ओर बिखरी हुई हैं। लोग परेशान हैं। बावजूद इसके वे वोट डालने शुक्रवार को बूथ तक पहुंचे। वोटरों का कहना था कि समस्याएं एक दो दिन की नहीं, बल्कि वर्षो से बनी हुई हैं। हम दूसरों को कोस अपने वोट को क्यों खराब करें। हो सकता हैं कि हमारा एक वोट बदलाव में सहायक हो जाए। मझुवा गांव में पानी नहीं आ रहा। लोगों ने बताया कि पेयजल नलकूप की पाइपलाइन काटकर दबंग खेतों की सिंचाई कर ले रहे हैं, हैंडपंप भी खराब हैं। शिकायत के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। मझुवा के शेखर, आनंद और अभिषेक बताते हैं कि समस्याओं के बाद भी उन्होंने वोट डाला। यही हाल उरुवा ब्लाक में भी देखने को मिला। यहां के उपरौड़ा लोहाड़ी गांव के पोलिंग बूथ पर भी मतदाताओं की कतार लगी रही। गांव में समस्याओं का पूरा जाल ही बिछा है। यहां लगे नलकूप की मोटर दस दिन पहले जल गई। अब तक इसकी मरम्मत नहीं कराई जा सकी। लोग पानी बिन तड़प रहे हैं, फिर भी वह वोट डालने पहुंचे। बूथ पर मौजूद कुंज बिहारी बताते हैं कि गांव के विकास को लेकर जनप्रतिनिधियों ने घोर उपेक्षा बरती है। सिर्फ वोट के समय नेताओं को जनता की याद आती है। यह नजारा सिर्फ एक बूथ का नहीं वरन हर जगह दिखाई दिया। लोग समस्याओं से परेशान तो हैं, बावजूद इसके अपने वोट को यूं ही जाया होते नहीं देख सकते। कहीं कहीं प्रत्याशियों का दबाव भी मतदाताओं पर हावी दिखा। कई प्रत्याशी ऐसे मिले जो अनमने ढंग से वोट डालने पहुंचे थे।
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वोट की खेती में 'सूखी फसल' लहलहाई
इलाहाबाद : पंचायत चुनाव के पहले चरण में शुक्रवार को सूखी फसलें भी लहलहा उठीं। यह नजारा दिखा यमुनापार के देवघाट गांव में। मौसम की मार से कराह रहे किसान भी वोट देने बूथ तक पहुंचे। आंखों में पीड़ा तो थी, लेकिन पलकों की छांव में वह भी छिपी रही। कोरांव ब्लाक का देवघाट गांव पूरे 25 किलोमीटर के दायरे में बसा है। दस हजार से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में पैंतीस सौ से ज्यादा वोटर भी हैं। पूरी तरह प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर रहने वाली यहां की खेती लगातार बर्बाद हुई है। पहले ओलावृष्टि ने यहां के किसानों ने बर्बाद किया और अब सूखे से उन पर दोहरी मार पड़ी है। नतीजा वे पाई-पाई को मोहताज हो गए हैं। गांव के छविनाथ सिंह की 12 बीघे में लगाई गई धान, अरहर, उर्द, बाजरा व तिल्ली पूरी तरह बर्बाद हो गई। कहते हैं कि वोट देने का मन नहीं था, लेकिन प्रत्याशियों के दबाव के चलते यहां तक चले आए हैं। राजबहादुर सात बीघा के काश्तकार हैं, पर इस बार खेत से उन्हें फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। कहते हैं कि आगे की राह बड़ी कठिन है। लगता है कि रोजी-रोटी के लिए परदेश जाना होगा। इसी प्रकार ईश्वरदीन की सात बीघे खड़ी फसल भी पानी के अभाव में सूख गई है। कहते हैं कि अब सात बच्चों का पेट कैसे पलेगा, भगवान जाने। गांव के मुन्नी लाल, लोलरनाथ गोस्वामी, देवमणि आदि की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई, बावजूद इसके उन्होंने वोट देने की हिम्मत जुटाई। शुक्रवार को देवघाट में बने बूथ पर 15 से 20 किलोमीटर दूर से पैदल चलकर महिलाएं वोट देने पहुंची थी। कहें कि चुनावी खेती में सूखी फसलें भी लहलहाती नजर आई तो गलत नहीं होगा।