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बंद मिली एमआरआइ, प्रमुख सचिव ने फटकारा

जासं, इलाहाबाद : प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अरविंद कुमार ने बुधवार को तेज बहादुर सप्रू (बेली) अस

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 01:03 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 01:03 AM (IST)
बंद मिली एमआरआइ, प्रमुख सचिव ने फटकारा

जासं, इलाहाबाद : प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अरविंद कुमार ने बुधवार को तेज बहादुर सप्रू (बेली) अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने पूरे अस्पताल की व्यवस्था देखी। प्रमुख सचिव को नई एमआरआई मशीन बंद मिली तो उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि लोगों को एमआरआई का लाभ जल्द दिलाया जाए। उन्होंने सीएमएस डॉ. वीके सिंह से प्रपोजल बनाकर देने को कहा। सीएमएस ने डजिटल एक्सरे के साथ ही एक और अल्ट्रासाउंड मशीन की आवश्यकता बताई। प्रमुख सचिव ने सीएमओ डॉ. पदमाकर सिंह को एमआरआई तत्काल चालू कराने को कहा। उन्होंने मशीन को संचालित करने के लिए दो टेक्नीशियन सहित सारी व्यवस्था जल्द करने को कहा। इससे पहले मंडलायुक्त ने भी बेली अस्पताल का निरीक्षण किया था और एमआरआई मशीन को चालू करने का निर्देश दिया था, मगर डाक्टरों पर इसका कोई असर न हुआ।

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सीएमएस कार्यालय पर तीमारदारों का हंगामा

- चिकित्सकों पर लगाया मरीज न भर्ती करने का आरोप

इलाहाबाद : साहब मरीज सुबह से तड़प रहा है लेकिन उसे भर्ती नहीं किया जा रहा है। इधर उधर दौड़ाया जा रहा है। न डॉक्टर सुन रहे हैं और न ही कर्मचारी। बेली अस्पताल पहुंचे कई तीमारदारों ने इसी प्रकार का आरोप लगाया।

बेली अस्पताल के सीएमएस कार्यालय में जमा तीमारदार अस्पताल प्रशासन को कोसते नजर आए। सरांय चंदी स्टेशन से सुनील अपनी मां रीता देवी को लेकर सुबह आठ बजे ही अस्पातल पहुंच गया था। तेज बुखार से तप रही मां को भर्ती करने के लिए उसने चिकित्सकों से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। कई घंटे बीत गए, रीता देवी की हालत और बिगड़ गई। यह देख उनके परिजन सीएमएस कार्यालय पहुंच गए और हंगामा करने लगे। इसी प्रकार यशोदा देवी को भी आज भर्ती नहीं किया गया। उनके परिजनों ने बताया कि मंगलवार को भी उन्हें बुलाया गया था, लेकिन भर्ती नहीं किया गया। कहा गया था कि बुधवार को भर्ती किया जाएगा। बावजूद इसके उन्हें आज भी भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। तीमारदारों का कहना था कि वार्ड में बैठे चिकित्सक मनमानी कर रहे हैं। सुबह से दोपहर हो गई, पर नंबर नहीं आया। बाई के बाग से आए बबलू ने बताया कि हाथ में लगी चोट दिखाने आए हैं। पहले दस नंबर में भेजा गया, वहां चिकित्सक नहंी मिले, इसके बाद कमरा नंबर बीस में भेजा गया। डॉक्टर वहां भी नहंीं मिले। बताया गया कि पोस्टमार्टम डयूटी में गए हैं। इस तरह की तमाम शिकायतों को लेकर लोगों ने सीएमएस कार्यालय पर हंगामा किया।

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डेंगू वार्ड में हादसे का घायल मरीज

इलाहाबाद : डेंगू के लिए बेली अस्पताल में अगल से वार्ड बनाए गए हैं। इन वार्डो के सभी बेड फुल हैं। बुधवार को जब जागरण टीम वहां पहुंची तो इमरजेंसी में बने डेंगू वार्ड में सड़क हादसे में घायल संदीप भी भर्ती मिला। संक्रमित वार्ड में एक घायल युवक को क्यों भर्ती किया गया यह समझ से परे रहा। जबकि दूसरी बुखार से पीड़ित किशोर को जनरल वार्ड में भर्ती किया गया है। जनरल वार्ड के 35 नंबर बेड पर भर्ती लकी (17) को डेंगू वार्ड में भर्ती क्यों नहीं किया गया यह भी बड़ा सवाल है। परिजनों का कहना है कि उसे डेंगू है। अस्पताल में अव्यवस्था की यह एक जीती जागती मिसाल है।

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होम्योपैथी चिकित्सालय का रास्ता बंद

इलाहाबाद : बेली अस्पताल परिसर में ही राजकीय होम्यो चिकित्सालय भी है। इसका भी हाल बेहाल है। बुधवार को जागरण टीम जब वहां पहुंची तो चिकित्सालय के ठीक सामने बालू के ढेर नजर आए। मरीजों के आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं छोड़ा गया था। लोग एक किनारे से होकर आ जा रहे थे। जर्जर अस्पताल को लेकर पहले से ही परेशान चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. राजेंद्र केशरवानी बताते हैं कि शिकायत के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। चिकित्सालय में रोज तकरीबन दो सौ मरीज आते हैं, जिनके बैठने के लिए भी कोई जगह नहीं बची है। शौचालय धंस गया है और बरसात होते ही छत टपकने लगती है। इन सब शिकायतों का निस्तारण को कौन कहे।

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प्रभावित हो रही इमरजेंसी सेवा

जासं, इलाहाबाद : बेली अस्पताल में मरीज तो बढ़े पर व्यवस्था में बदलाव कम ही हुआ। मरीजों की तादात को देखते हुए अस्पताल में कम से कम पांच इमरजेंसी मेडिकल अफसर होने चाहिए पर मौजूदा समय में इनकी संख्या दो ही है। इसी तरह एक सर्जन, दो फिजिशियन की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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अस्पताल में मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। बेड कम हैं पर लोग यहीं भर्ती होने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में कभी कभी मरीज को रेफर भी करना पड़ता है। जहां हो सकता है, मरीजों का इलाज अस्पताल में करने का प्रयास किया जाता है।

डॉ. वीके सिंह, सीएमएस बेली अस्पताल

मरीजों की भीड़ से टूट रहा बेली का तिलिस्म

- मंडल के सबसे अच्छे अस्पताल की बढ़ गई परेशानी

जासं, इलाहाबाद : कभी मंडल का सबसे अच्छा अस्पताल कहे जाने वाले बेली का तिलिस्म धीरे धीरे टूट रहा है। व्यवस्थाएं तो पहली जैसी ही हैं पर मरीजों की भीड़ बढ़ गई। इसका असर डॉक्टरों के कामकाज से लेकर जांच प्रक्रिया तक पर पड़ रहा है।

सरकारी अस्पतालों में बेली को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। यही कारण है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आम दिनों में यहां की ओपीडी 25 सौ से तीन हजार के करीब होती है पर रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को यह संख्या साढ़े तीन हजार पार कर जाती है। न सिर्फ इलाहाबाद बल्कि प्रतापगढ़ व कौशांबी से भी मरीजों की भीड़ इस अस्पताल की ओर रुख करती है। बीते कुछ महीनों से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा रही है। अस्पताल के 199 बेड शायद ही कभी खाली मिलते हों। ऐसे में मरीजों का दबाव यहां हंगामे का कारण भी बनता है। सीएमएस डॉ. वीके सिंह की मानें तो हर व्यक्ति यहीं भर्ती होना चाहता है पर हम चाहकर भी सबको भर्ती नहीं कर सकते। जागरण ने बुधवार को अस्पताल का भ्रमण किया। इस दौरान ओपीडी में भीड़ के साथ ही अफरातफरी व हंगामे जैसे नजारे भी दिखाई दिए।


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