अंग्रेजों ने बढ़ाया भेदभाव : डॉ. त्रिभुवन
जासं, इलाहाबाद : भारत पहले एक निर्यातक देश था, जहां लगभग हर घर में वस्तुओं का निर्माण होता था। ब्रिट
जासं, इलाहाबाद : भारत पहले एक निर्यातक देश था, जहां लगभग हर घर में वस्तुओं का निर्माण होता था। ब्रिटिश शासन में भारत के उत्पादन और वितरण ढाचे को नष्ट कर दिया गया। इससे न सिर्फ समाज में गरीबी और ऊंच-नीच को बढ़ावा मिला, बल्कि समाज के हर वर्ग के बीच भेदभाव व नफरत का बीज बोया गया। यूइंग क्रिश्चियन कालेज में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा बुधवार को आयोजित प्रो. जेके मेहता व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता डॉ. त्रिभुवन सिंह ने यह बातें कहीं।
कहा कि भारत और चीन 1750 तक दुनिया के आर्थिक रूप से मजबूत देश थे। उस दौरान भारत की विश्व के सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। जबकि ब्रिटेन और अमेरिका का मिलाकर कुल हिस्सेदारी मात्र दो प्रतिशत थी। डॉ त्रिभुवन सिंह ने कहा कि सिलसिलेवार लूट और भारतीय घरेलू उद्योगों को नष्ट करके ब्रिटेन ने अपनी उन्नति की। जो लोग हजारों वर्षो से अपने तकनीकी ज्ञान की वजह से खुशहाल थे वह बेरोजगार हो गए। एक बड़ा तबका भुखमरी के कगार पर आ गया। कालेज के प्राचार्य डॉ. एम. मैसी ने अर्थशास्त्र विभाग द्वारा किये गए आयोजन की प्रशसा की। इसके पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ लिटिसिया हरमिट ने स्वागत, डॉ विवेक कुमार निगम ने संचालन एवं आभार डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने ज्ञापित किया।