अंधेरे में रोशनी की राह दिखा रहे ओमप्रकाश
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : आर्यवर्त यह देश है,सुन लो जरा अतीत। चलते गुरुकुल थे यहा, यही पुरानी रीत
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : आर्यवर्त यह देश है,सुन लो जरा अतीत। चलते गुरुकुल थे यहा, यही पुरानी रीति।' ये चंद लाइनें भारत की प्राचीन शिक्षा नीति को बताने के लिए काफी है। आज शिक्षा का बाजारीकरण हो चुका है। वहीं कुछ ऐसे भी हैं, गुरु-शिष्य परंपरा का निवर्हन आज भी कर रहे हैं। ऐसे ही चंद लोगों में बैंक रोड के ओम प्रकाश शुक्ल भी शामिल हैं।
मूल रूप से प्रतापगढ़ पट्टी के ओम प्रकाश शुक्ल 1996 में शिक्षक बनने का सपना लेकर संगम नगरी आए। ग्रामीण पृष्ठभूमि व आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते यहां उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। ओम प्रकाश के तेज को देखते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गणितज्ञ प्रो.बनवारी ने उन्हें पढ़ाने का आश्वासन दिया। प्रो.बनवारी जैसे बड़े गणितज्ञ का साथ मिलते ही ओम प्रकाश के दिन बदल गए। उन्होंने विश्वविद्यालय से गणित से एमएससी की पढ़ाई पूरी की। लेकिन इस बीच भी उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद रखा। ग्रामीण और गरीब वर्ग के छात्रों के लिए 1991 में अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर गांधी अकादमी की नींव रखी। यहां इंटर, हाईस्कूल और स्नातक के छात्रों को निश्शुल्क गणित और विज्ञान की शिक्षा दी जाने लगी। यहां की शिक्षा इस कदर समाज में रोशनी लाई की एक वर्ष के अंतराल में ही यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले दो छात्रों का चयन पीसीएस के लिए हो गया। फिर क्या था, यह अकादमी शिक्षा की चाह रखने वालों के लिए संजीवनी बन गई। आज यहां दो हजार छात्रों को प्रति वर्ष निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है। यहां से पढ़ाई पूरी कर करीब सात हजार लोग देश के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं।
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आईएएस-आईपीएस देते हैं ट्रेनिंग
गांधी अकादमी आज समाज के लिए नजीर बन चुका है। बतौर शिक्षक ओम प्रकाश शुक्ल ने हजारों युवाओं की दुनिया बदल दी। उन्हें जमीं से आसमां तक पहुंचा दिया। आज ओम प्रकाश के इस कार्य में देश के कई आईएएस और पीसीएस अधिकारी भी उनका साथ दे रहे हैं। ऐसे प्रमुख लोगों में डीजीपी सूर्य कुमार शुक्ला, आईपीएस दीपक कुमार भट्ट, पीसीएस जय प्रकाश शुक्ला, ट्रेजरी ऑफिसर रविंद्र प्रताप सिंह, एसपी यमुनापार आशुतोष मिश्र, एसडीएम विपिन मिश्र शामिल हैं। ये अधिकारी समय-समय पर यहां अध्ययनरत गरीब छात्रों को साक्षात्कार व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं।
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दो हजार छात्रों को मिलती है निश्शुल्क शिक्षा
ओम प्रकाश शुक्ल के गांधी अकादमी में प्रवेश पाने के लिए युवा वर्ग काफी लालायित रहता है। आज गांधी अकादमी में करीब दो हजार युवाओं को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है।