जिला बदर को बना दिया आयोग का अध्यक्ष : देवेंद्र
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) देवेंद्र प्रताप सिंह ने अप
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कठपुतली बना रही है। लोकायुक्त और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के मामले में उन्होंने सरकार को आड़े हाथ लिया। कहा कि अयोग्य और आपराधिक पृष्ठभूमि के पदाधिकारी से आयोग में योग्य और अच्छे अभ्यर्थियों के चयन की अपेक्षा ही नहीं की जा सकती।
सपा एमएलसी का कहना है कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की विश्वसनीयता तार-तार हो चुकी है। उन्होंने आयोग में कथित घपले-घोटालों की सीबीआइ जांच की मांग की। कहा कि उच्च न्यायालय को इस बारे में निर्देश देना चाहिए। देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि आयोग के मौजूदा अध्यक्ष को तीन फरवरी 1987 को आगरा के तत्कालीन डीएम ने छह महीने के लिए जिला बदर किया था। बोले, उनकी जगह जेल है, लेकिन वह आयोग के अध्यक्ष बने हुए हैं। एमएलसी ने जानकारी दी कि दो साल के कार्यकाल में अध्यक्ष ने 236 प्रकार की नियुक्तियां की। उन्होंने बताया कि 21 अगस्त को इस मुद्दे को विधान परिषद में भी उठाया गया है। प्रधानमंत्री और गवर्नर से भी मिलकर उन्होंने इस मामले को उनके समक्ष रखा है।
एमएलसी देवेंद्र सिंह का यह भी कहना था कि लोकायुक्त संशोधन विधेयक लाकर सरकार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सैद्धांतिक रूप से अपनी पराजय स्वीकार कर ली है। सरकार को इस बात का पक्का यकीन हो गया है कि चुनाव के बाद मंत्रि परिषद के आधा दर्जन सदस्य सलाखों के पीछे होंगे। उन्हें जेल जाने से बचाने के लिए ही सरकार अपने घर के व्यक्ति को लोकायुक्त बनाने की जिद पर अड़ी है। जाति विशेष के लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर आसीन कराकर सरकार ने अपनी पराजय को दावत दे दी है।