'कविगुरु के गीतों की बही सुरीली बयार'
जासं, इलाहाबाद : वैसे तो सावन का महीना बीत चुका है। बावजूद इसके कलाकारों ने अपनी सुरीली बयार से श्रो
जासं, इलाहाबाद : वैसे तो सावन का महीना बीत चुका है। बावजूद इसके कलाकारों ने अपनी सुरीली बयार से श्रोताओं को सराबोर कर दिया। जगत तारन गोल्डेन जुबली के भव्य मंच रवींद्रालय से बही सुर सरिता में श्रोता घंटों गोता लगाते रहे। मौका था रूपकथा संस्था द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम 'काव्य गाने रवींद्रनाथ' का। सोमवार की शाम मंच बंगाल के सर्वोच्च कलाकारों जयति चक्रवर्ती ने एवं विजयलक्ष्मी बर्मन के अभूतपूर्व नाट्य प्रस्तुति से दर्शक भावविभोर नजर आए। जयति ने कविगुरु का गाना 'एबार एसेछे आषाढ़' सुनाकर समां बांध दिया।
इसके बाद उन्होंने 'तोमार हियार हावा, प्रान भोरिये तृषा होरिए, तोमार आषीमे, ओ आमार देशेर माठी, आमार हियार माझे' की सुरीली प्रस्तुति कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। वहीं विजयलक्ष्मी बर्मन ने कविगुरु की प्रसिद्ध कविताओं में 'मेघेर पारे मेघ जोमेछ, मरन-मिलन, रथयात्रा' और प्रसिद्ध नाटक 'रक्तकरोबी' पर शानदार अभिनय कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके साथ सुब्रत बनर्जी, ध्रुव बासु राय, वरुण दासगुप्त, कमल चटर्जी, सुबीर चक्रवर्ती ने संगत किया। स्वागत कल्याण घोष, संचालन अंजन चटर्जी एवं आभार डॉ. आशीम मुखर्जी ने किया।